भारतीय संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर की 129वीं जयंती आज


BY-SAEED ALAM KHAN


  • मुझे पूजने नहीं बल्कि पढ़ने की जरूरत है
  • शिक्षा शेरनी का वह दूध है जिसे कोई जितना पियेगा उतना ही दहाड़ेगा

उपरोक्त ऐसे हजार कथनों को देने वाले आंबेडकर ऐसी महान विभूति हैं जिन्होंने आदिकाल से हमारे देश में जातिवाद, छुआछूत, असमानता मनुष्य को मनुष्य न समझने का दम्भ आदि

न जाने ऐसी कितनी अनगिनत बुराइयाँ व्याप्त थीं, जिनको जड़ से समाप्त करने तथा समाज को वैज्ञानिक सोच देने के लिए डॉक्टर भीमराव अम्बेडकर ने अपना सब कुछ न्यौछावर करके भारतीय संविधान की रचना किया.

आज उसी युग प्रवर्तक, दलितों के मसीहा, नारी स्वतंत्रा के कुशल पक्षधर की 129 वीं जयंती है जिसे देश में खुले तौर पर तो नहीं क्योंकि कोरोना वायरस जैसी महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री ने 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर रखा है, किन्तु अपने-अपने घरों में ही लोग श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं.

Dr Bhimrao Ambedkar Biography in Hindi | Inspirational Life Story ...Dr.Bhimrao

आइये इस महान शख्सियत से संबंधित कुछ जानकारियाँ आपको देते हैं:

भीम राव अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 में मध्य प्रदेश के महू नामक गांव में एक मराठी महार परिवार में हुआ था. इनके पिता का नाम रामजी सकपाल तथा माता का नाम भीमाबाई था.

इनकी प्रारंभिक शिक्षा पास के गांव में ही हुई किन्तु उच्च शिक्षा के लिए 1913 में अमेरिका के कोलंबिया विश्वविद्यालय में चयन होने के बाद राजनीति विज्ञान से इन्होंने स्नातक की पढाई पुरी की.

ततपश्चात इन्हें एक शोध कार्य के लिए 1916 में पीएचडी से सम्मानित किया गया. अपनी पढाई पूर्ण करने के बाद ये भारत आये और यहाँ के शोषित, पीड़ित लोगों में राजनितिक चेतना जगाने के लिए 1936 में स्वतंत्र लेबर पार्टी की स्थापना किया.

1952 में समाज में हाशिये पर धकेल दिए जाने वाले लोगों को राजनैतिक तौर पर आवाज देने के लिए इन्होंने आंदोलन किया साथ ही चुनाव लड़ा हालाँकि ये हार गए किन्तु इन्होंने संघर्ष का रास्ता नहीं छोड़ा.

इसी का परिणाम है कि अंग्रेजों से आजादी मिलने के बाद ये देश के ये पहले कानून (विधि) मंत्री बनाये गए तथा संविधान के प्रारूप समिति के अध्यक्ष बनकर भारतीय संविधान की रचना किया.

यह पुस्तक समाज में समता, समानता, बन्धुत्व का निर्माण, व्यक्ति को उसका नैसर्गिक अधिकार दिलाते हैं यानि जिसे किसी भी परिस्थिति में छिना नहीं जा सकता है.

आज आंबेडकर सामाजिक स्वरुप को स्थापित करने में ऐसा नाम है जिसे यदि निकाल दिया जाये तो समाज का बड़ा तबका पुनः जानवर बन जायेगा, एक ऐसा जानवर जो केवल मार खा सकता है किसी तरह का कोई प्रतिरोध नहीं.

इस महान आत्मा को शत, शत, नमन……

 

 

 

 

 

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