BY-THE FIRE TEAM
- सड़कों पर लोगों का हुजूम जो देश के अलग-अलग हिस्सों से पैदल ही अपने घरों की ओर निकल पड़े हैं बार-बार यही प्रश्न उस वयवस्था संचालक से पूछते नजर आ रहे हैं कि
- क्या नोटबंदी और जीएसटी की तरह लॉकडाउन की घोषणा करना भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अदूरदर्शी फैसला है?
प्राप्त सूचना के अनुसार शकुंतला नाम की एक महिला कामगार जो अपने पति राकेश कौल के साथ नासिक में रहती थी किन्तु कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन की घोषणा होने के पश्चात
जब उसके पति का रोजगार छीन गया तो उन लोगों ने ट्रेन और बस की सुविधा न होने के कारण पैदल ही अपने घर जाने का फैसला ले लिए वह भी ऐसे समय जब शकुंतला नौ माह की गर्भवती थी.
इस संबंध में न्यूज़ नेशन ने लिखा है कि- शकुंतला लगभग 70 किलोमीटर तक पैदल चली किन्तु जब उसके पेट में दर्द होने लगा तो हाइ वे पर ही उसने बच्चे को जन्म दे दिया.
Shakuntala, wife of a migrant labourer, decided to risk the 1,000km march from Nashik to Satna in the ninth month of pregnancy.#KavitaKanesh #RakeshKoul #Shakuntala https://t.co/ZfKRhwEcMK
— H24 News India (@h24news_in) May 10, 2020
1 घंटे तक आराम करने के बाद वह फिर अपने आगे की यात्रा के लिए निकल पड़ी जबकि उसे वास्तव में मेडिकल सुविधा और भरपूर आराम देने की जरूरत थी.
इस पुरे दृश्टान्त का खुलासा उस समय हुआ जब चेकपोस्ट इंचार्ज कविता कनेश ने बिजासन बॉर्डर पर शकुंतला की दयनीय हालत को देखा तो वह मदद के ललिए सामने आई,
हालाँकि सम्पूर्ण पुलिस टीम इस घटना को सुनकर अवाक रह गई.