BY-THE FIRE TEAM
अमेरिका में जॉर्ज फ्लायड की बेरहमी से की गई हत्या के बाद विरोध प्रदर्शन तेजी से बढ़ते चले जा रहे हैं, प्रदर्शनकारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वो तमाम महत्वपूर्ण जगहों के साथ-साथ व्हाइट हाउस का भी घेराव कर दे रहे हैं.
आक्रोशित प्रदर्शनकारियों द्वारा वाइट हाउस घेरे जाने को लेकर तमाम खबरें आई कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बंकर में छिपना पड़ा.
ऐसे में बार-बार प्रदर्शनकारियों को धमकाने वाले डोनाल्ड ट्रंप को ना तो पुलिस का साथ मिल रहा है और ना ही सेना का.
2 दिन पहले एक प्रांतीय पुलिस अधिकारी ने डोनाल्ड ट्रंप को नसीहत देते हुए कहा था कि- “अगर कुछ ढंग का बोल नहीं सकते हैं तो अपना मुंह बंद रखें.”
इसी सन्दर्भ में अमेरिकी सेना ने भी अपना बयान दिया है कि- हम अमेरिकी संविधान की रक्षा करने के लिए बने हैं किसी डोनाल्ड ट्रंप के लिए व्यक्तिगत नहीं.
अमेरिकी सैन्य अधिकारियों के इस बयान की कॉपी को शेयर करते हुए पत्रकार जोनाथन फ्रीडलैंड लिखते हैं- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप प्रदर्शनकारियों के दमन के लिए जिस आर्मी के इस्तेमाल की बात कर रहे थे उसने ये याद दिला दिया है कि वर्दी संविधान की सुरक्षा के लिए मिली है, डोनाल्ड ट्रंप के लिए नहीं.
दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में बन रही इन मिसालों से दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र को भी सीख लेना चाहिए. अमेरिकी पुलिस और सेना के इन बयानों और जवाबों से भारतीय पुलिस और सेना को भी कुछ सीख ने की जरूरत है.
भारतीयों और भारतीय संविधान की रक्षा यानि जनता के राज यानि लोकतंत्र की रक्षा के लिए कार्य कर रहे संसद, कार्यपालिका(एडमिनिस्ट्रेटर)न्यायपालिका और मीडिया
में बैठे लोगों को अमेरिका के लोगों और पुलिस और सेना दवारा लोकतंत्र के लिए दिए जा रहे त्याग, समर्पण और मानवता और सामाजिक समानता के व्यवहारसे सबक लेना चाहिए.
वास्तव में लोकतंत्र सभी व्यक्तियों के लिए होता है ना कि कुछ लोगों की आजादी और बाकी बहुसंख्यक लोगों की गुलामी बनाये रखने के उद्देश्य से होता है.