BY-AB TEAM
मिली जानकारी के मुताबिक बिहार राज्य के विभिन्न जिलों जैसे-सारण, मुजफ्फरपुर,वैशाली, गोपालगंज, नालंदा आदि से कोरोना वायरस को माई का दर्जा देकर उसे दूर भगाने का कार्य किया जा रहा है.
इसके लिए महिलाएं बकायदे पूजा करने की सम्पूर्ण सामग्री धुप-दिया, गुड़हल के फूल, अगरबत्ती, गुड़ और तिल, लड्डू आदि तैयारी के साथ ब्रह्मपुरा स्थित सर्वेश्वर मंदिर सहित
गोपालगंज के फुलवरिया घाट पर पहुँचकर अपनी आस्था समर्पित कर रही हैं ताकि इस संक्रमण की बीमारी से लोगों की रक्षा हो सके.
#andhviswas corona ki vaccine bne na bne lekin gaw dehat me andhviswas jarur bn gya hai ki corona koi bimari nhi ye ek devi hai jo insano se bahut krodhit hai…. #Coronamai😂😂 pic.twitter.com/ec8ONrpQfD
— Vineet Singh Rajpoot (@VineetS12932161) June 5, 2020
कोरोना माई के पूजा करने के विषय में जब महिलाओं से पूछा गया कि आखिर वे किस आधार पर इसे प्रारम्भ किया है तो उन्होंने बताया कि-
“उनके सपने में कोरोना देवी आई थीं और वे पूजा करने की आहुति माँग रही हैं. इसीलिए वे सब स्नान करने के बाद नदी घाट पर जाकर ऐसा कर रही हैं.”
हालाँकि इन महिलाओं के तर्कों का कोई ठोस आधार नहीं मिल सका है, यही वजह है कि अधिकतर लोगों ने इसे अंधविश्वास करार दिया है.
मसलन बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रोफ़ेसर बीएन सिंह ने कहा है कि- जब भी हमारे ऊपर कोई मुसीबत आती है तो हम भगवान की शरण में चलें जाते हैं और यही आस्था ही अंधविश्वास का रूप ले लेती है.
जबकि मुजफ्फरपुर के पंडित विनय पाठक ने बताया कि- किसी भी धर्मग्रंथ में कोरोना माई की कोई चर्चा नहीं की गई है, यह सब पूर्णतः अंधविश्वास पर टिका हुआ प्रपंच है.