विश्वव्यापी कोरोना महामारी के इस दौर में जहाँ मानव का अस्तित्व बचाने के लिए शोध और प्रयोग चल रहे हैं बावजूद इसके ऐसी घटनाएं घट रही हैं जो सभी प्रकार के हुए सामाजिक, सांस्कृतिक सहित तकनीकि विकास को कटघरे में लाकर खड़ा करती हैं.
ताजा मामला लद्दाख के गलवान घाटी का है जहाँ चीन ने पुनः धोखधड़ी करते हुए अपनी पुरानी नीति को दुहराने का कार्य किया है. भारत और चीन के मध्य वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर समझौता होने के बावजूद दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पों के होने की घटना घटित हुई है.
इसके कारण भारत के 20 जवानों के शहीद होने की खबर मिली है जबकि चीन के 43 जवान मारे गए हैं. यदि सम्पूर्ण घटनाक्रम को सिलसिलेवार देखा जाये तो भारत के लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह तथा चीन के मेजर लिउ लेन के बीच मोल्डो जो चीन के हिस्से में पड़ता है.
यहाँ साझे तौर पर बैठक हुई तथा इन लोगों ने वार्ता करते हुए शांतिपूर्ण ढंग से मामले को सुलझाने का विकल्प रखा किन्तु LAC पर चीनी सैनिकों की लगातार बढ़ती संख्या को देखते हुए भारत की ओर से चीन की नियत ठीक नहीं दिखी. साथ ही उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश तक का माहौल
अगर देखा जाये तो दोनों देशों ने अपनी-अपनी सेनाएं खड़ी कर रखी हैं. यही वजह है कि शांति स्थापित करने में अनेक तरह की अप्रत्यक्ष चुनौतियाँ नजर आईं.
फिर वही हुआ जिसका डर था यानि कि चीन ने रात में हिंसक वारदात को अंजाम दिया. इसकी जवाबी कार्यवाही में भारत की तरफ से भी प्रतिक्रिया दी गई जिसमें सैनिकों के मारे जाने की सूचना प्राप्त हुई और दोनों देशों के मध्य तनाव का बादल छाये हुए हैं.