उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान के अलवर में बीते 20 जुलाई को हुई पीट-पीटकर हत्या के मामले पर संज्ञान लिया है। न्यायालय ने राज सरकार से मामले में की गई कार्यवाही पर जवाब दाखिल करने को कहा है। बताते चलें कि इससे पहले शीर्ष न्यायालय ने कथित गौरक्षा के नाम पर हिंसा से निपटने के लिए कई दिशा निर्देश भी जारी किए थे।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने राज्य सरकार के गृह विभाग के प्रधान सचिव से कहा है कि वह अलवर जिले में हुई लिंचिंग के मामले में की गई कार्यवाही का विस्तृत विवरण देते हुए हलफनामा दायर करें।
दायर याचिका में अलवर में भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या मामले में राजस्थान सरकार के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने आज सभी अन्य राज्य सरकारों से भी कहा है कि वह इस प्रकार के मामलों के लिए क्या कदम उठा रहे हैं और जो भी कदम उठाए गए हैं उसके लिए 7 सितंबर तक अनुपालन रिपोर्ट पेश करें।
बताते चलें कि बीते 20 जुलाई को राजस्थान के अलवर जिले के रामगढ़ इलाके में गौरक्षकों ने रकबर खान की कथित तौर पर पिटाई कर दी थी। जिसके बाद रकबर खान की मृत्यु हो गई थी। यह घटना उस समय हुई जब रकबर दो गायों को राजस्थान के लालपुरा गांव से हरियाणा स्थित अपने घर ला रहा था।
इस हत्याकांड में पुलिस पर भी आरोप लगे थे बताया गया था कि पुलिस जब घटना स्थल पर आई तब रकबर जिंदा था और रकबर को स्वयं पुलिस खींचते हुए ले गई थी।
पंजाब केसरी में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इस घटना को लेकर एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया था कि उसने पुलिस को रकबर को पीटते हुए देखा है। उसने बताया कि वह शख्स उस समय जिंदा था जब पुलिस आई और घायल शख्स लगातार दर्द होने की शिकायत भी कर रहा था। लेकिन पुलिस वालों ने उस शख्स की कोई भी बात ना सुनी और वह पास में स्थित चाय के स्टॉल पर चाय पीने चले गए। पुलिस की लापरवाही के कारण ही रकबर खान को अपनी जान गंवानी पड़ी, यदि पुलिस समय रहते रकबर को सही इलाज दिलाती तो शायद वह बच जाता।