मिली जानकारी के मुताबिक चीन में रहने वाले उइगर मुस्लिम समुदाय पर विगत कई वर्षों से हो रहे अन्याय और शोषण के विरुद्ध वकीलों की एक टीम ने न्याय पाने तथा उन पर हुए अत्याचार के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है.
उनकी माँग है कि उइगर समुदाय को अवैध रूप से गिरफ्तार करने तथा कम्बोडिया और ताजिकीस्तान में रह रहे इन लोगों को निर्वासित करने के खिलाफ आईसीसी (अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय) में अपील दायर करके इस समस्या का हल करने पर जोर दिया गया है.
चीन देश के इतिहास को अगर खंगाला जाये तो ऐसा पहली बार देखने को मिला है कि न्याय प्राप्त करने के उद्देश्य से सीपीसी (चीनी कम्युनिस्ट पार्टी) के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय की शरण ली गई है.
International Criminal Court asked to investigate #China for Uighur genocide policy https://t.co/u5sQMLzZ10@IntlCrimCourt #UighurGenocide #Uyghurs pic.twitter.com/WE5FD6VMRD
— TibetanReview (@TibetanReview) July 7, 2020
आपको यहाँ बताते चलें कि उइगर मुस्लिम समुदाय से जुड़े मामलों की देख-रेख करने के लिए निर्वासित पूर्वी तुर्किस्तान सरकार (ईटिजीइ) तथा तुर्किस्तान नेशनल अवेकनिंग मूवमेंट जैसे संगठनों का गठन किया गया है जो लगातार चीन की शोषणकारी नीतियों, अमानवीय अत्याचारों, मानवाधिकारों का उलंघन इत्यादि से जुड़े मसलों के समाधान के लिए आवाज उठा रहा है.
चीन पर बार-बार यह आरोप लगता रहा है कि वह मुस्लिम समुदाय के लोगों पर यातना, गैरकानूनी कारावास, जबरन जन्म नियंत्रण, महिलाओं का बंध्याकरण आदि घिनौने कृत्यों को अंजाम देता रहा है. इन अपराधों को लेकर चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और अन्य अधिकारियों के विरुद्ध तीस पन्नों में शिकायत दर्ज कराई गई है.
आईसीजे का कार्य क्या है ?
संयुक्त राष्ट्र संघ का न्यायिक निकाय जो वैश्विक स्तर पर किसी देश में होने वाले अपराधों, मानव अधिकारों का उलंघन करने, नरसंहार तथा अंतर-राष्ट्रीय कानूनों के नियमन आदि से संबंधित मामलों के समाधान के लिए इस न्यायालय को स्थापित किया गया है.