जिस ख़ास वीआईपी यात्री को बचाने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने तीन खूंखार आतंकियों को छोड़ा उसका नाम है रोबेर्टो गियोरि. यह आदमी De La Rue Giori कंपनी का मालिक है जो पूरी दुनिया का 90% नोट प्रिंटिंग कारोबार पर नियंत्रण रखती है.
1999 में काठमांडू से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट को आतंकियों ने अपरहण कर लिया. जहाज अमृतसर हवाई अड्डे पर ईंधन भराने के लिए उतरा था. पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल पंजाब कमांडो द्वारा रेस्क्यू कराने की परमिशन मांगी.
लेकिन तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने इज़ाज़त देने से इंकार कर दिया. दूसरी ओर स्विट्ज़रलैंड और यूरोप के देश अरबपति रोबेर्टो गियोरि की सुरक्षा के लिए चिंतित थे. वह लगातार वाजपेयी सरकार पर दबाव बना रहे थे.
सेना, NSG अपरहणकर्ता आतंकियों से लड़कर विमान यात्रियों को छुड़ाने के लिए तैयार थे. लेकिन वाजपेयी सरकार में साहस इच्छाशक्ति की भारी कमी लग रही थी.
अपरहणकर्ताओं से निपटने के लिए दिल्ली में हाई लेवल मीटिंग हुई. इस मीटिंग में वायपेयी, आडवाणी, अरुण शौरी, जसवंत सिंह, NSA बृजेश मिश्र, RAW प्रमुख, NSG प्रमुख और I.B हेड अजित डोभाल ने शिरकत की.
इन सभी कुलीन वर्ग के मंत्री अधिकारियों ने तीन आतंकियों को छोड़ने का फैसला किया. जसवंत सिंह और अजित डोभाल गाजे बाजे के साथ तीन आतंकियों को कंधार छोड़ आए.
आज भी वही वर्ग सत्ता में है. आप उम्मीद कर रहे हैं मोदी सरकार चीन को जवाब देगी तो आप गलत हैं. सेना की इच्छा- शक्ति है लेकिन कुलीन वर्ग की सरकार में दम नही है.
यह लोग देश में डिटेंशन कैंप बनाकर जनता को प्रताड़ित कर सकते हैं. L.A.C पार सेना का कैंप बनाकर चीन को प्रताड़ित करने की इनमें हिम्मत नही है.
वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों जैसे नेपाल, भूटान से लेकर चीन तक की हरकतें हमें सोचने पर विवश कर रही हैं क्या वास्तव में भारतीय सेना का नियंत्रण मजबूत हाथों में है.?