नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली का यह बयान कि भारत के अयोध्या में स्थित भगवान राम मूलतः भारत के नहीं बल्कि नेपाल के हैं, अब तूल पकड़ता जा रहा है.
यही वजह है कि नेपाली प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य को पुष्ट करने के लिए नेपाल का पुरातत्व विभाग देश के दक्षिणी हिस्से में स्थित वीरगंज के थोरी नामक स्थान पर खुदाई का कार्य प्रारम्भ कर दिया है.
#Nepal's archaeological dept plans to start studies and excavation in Thori in the country's south after PM KP Sharma Oli's claim that it is the "real birthplace" of Lord Ram
https://t.co/bVpqjzsTd3— Economic Times (@EconomicTimes) July 16, 2020
उनके इस कथन को लेकर नेपाली नेताओं जैसे पुष्प डाहल प्रचंड और अन्य ने उनसे पार्टी से इस्तीफा देने तक की मांग करने लगे. यद्यपि स्वयं को घिरता देखकर ओली ने आरोप लगाया है कि-
“भारत की मदद से उन्हें राजनीतिक रूप से पंगु बनाने का षडयंत्र नेपाल में चलाया जा रहा है.” इसके विपरीत नेपाली नेताओं का कहना है कि भारत के विरुद्ध केपी शर्मा ओली द्वारा इस तरह का वक्तव्य न तो राजनीतिक और न ही कूटनीतिक तौर पर सही ठहराया जा सकता है.
pushp kamal dahal prachanda may demand resignation of kp sharma oli – नेपाल को नहीं बनने देंगे पाकिस्तान… PM ओली से इस्तीफा लेने पर अड़े प्रचंड https://t.co/L8R9UH3Id5
— कर्ण (@RathoreKarn1) June 27, 2020
इस विषय में डीओए के प्रवक्ता रामबहादुर कुँवर ने बताया है कि- बीरगंज के थोरी में पुरातात्विक खुदाई को लेकर विभिन्न मंत्रालयों के साथ चर्चा की जा रही है और शीघ्र ही किसी सकारात्मक परिणाम के ओर बढ़ने की उम्मीद है.
वहीं डीओए के निदेशक ने भी अपना दृष्टिकोण रखते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री के इस वक्तव्य के बाद हमारी भी नैतिक जिम्मेदारी है कि वास्तविक तथ्यों की तलाश की जाये और इस दिशा में अध्ययन को बढ़ावा दिया जाये.
हालाँकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनके पास ऐसा कोई पर्याप्त आधार नहीं है जिसके धरातल पर कहा जाये कि अयोध्या नेपाल में है और राम मूलतः यहाँ के हैं.