प्राप्त जानकारी के मुताबिक भारत और नेपाल के मध्य परम्परागत रूप से चले आ रहे रिश्तों में आई दरार की वजह अमेरिका और चीन की कूटनीतिक नीतियां हैं जिसके कारण नेपाल भारत को आँखें दिखाना शुरू कर दिया था.
इस विषय में ऐसा खुलासा हुआ है कि दोनों देश अमेरिका और चीन अपनी गुप्तचर एजेंसियों के माध्यम नेपाल में भारत के प्रभाव को कम करके नेपाल के संसाधनों पर कब्जा करना चाहते हैं.
इसके लिए ये देश पूर्व निर्धारित रणनीति के तहत अपनी योजनाएं बनाकर कार्य कर रहे हैं. दरअसल अमेरिका नेपाल में अपना प्रभाव कायम करके भारत और चीन दोनों को मॉनिटर करना चाहता है.
इसी को लेकर अमेरिकी ख़ुफ़िया एजेंसी CIA ने वर्षों से वहां ख़ुफ़िया ऑपरेशंस चलाए हुए है. तथ्य की पुष्टि के विषय में सुनिश्चित होने के लिए ऐसा बताया जा रहा है कि अमेरिका ने जोशुआ-1 नाम के ऑपेरशन के तहत
सबसे पहले नेपाल में जारी राजशाही को ख़त्म किया और वहां लोकतांत्रिक सरकार को मजबूत स्थिति में पहुंचाया. इसके बाद ऑपरेशन जोशुआ-2 -के तहत नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार को सत्ता में मजबूती दिलाई.
अब जोशुआ-3 के माध्यम से वह नेपाल और वहां की सरकार को आर्थिक तौर पर भी कमजोर करके अपने ऊपर निर्भर बनाना चाहता है. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए अमेरिका की दो प्रमुख
पीस कॉर्प्स और मिलेनियम चैलेंजे कार्पोरेशन बड़े पैमाने पर फण्डिंग की वयवस्था में जुटी हुई हैं. वहीं चीन भी अपनी नीति को पुख्ता करने के लिए बिल्ट रोड इनिसिएटिव (BRI) तथा अन्य माध्यमों से भारत के प्रभाव को नेपाल में खत्म करने के लिए लगातार काम कर रहा है.
विगत दिनों में नेपाल भारत के बीच जिस तरह से सीमा विवाद गहराया और नेपाली पीएम के द्वारा बयानबाजियां की गई उसने दोनों देशों के मध्य तनाव का माहौल बना दिया है अतः इसकी समीक्षा स्वाभाविक हो गई.