BY-हिसाम सिद्दीक़ी
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या में भगवान राम के आलीशान मंदिर की तामीर का रास्ता साफ हुआ, पांच अगस्त को धूमधाम से भूमि पूजन भी होने से मुल्क के करोड़ों लोगों में खुशी की लहर दौड़ रही है.
देश की तारीख (इतिहास) में सबसे लम्बी मुद्दत तक चले मुकदमे का फैसला मंदिर के हक में आया तो सभी ने इत्मीनान की सांस ली. आम रामभक्त हिन्दुस्तानियों की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमे का फैसला राम मंदिर के हक में करने के साथ-साथ यह भी कह दिया था कि छः दिसम्बर 1992 को अयोध्या में भीड़ इकट्ठा करके मस्जिद तोड़ने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई जारी रहेगी क्योंकि मस्जिद तोड़ने की हरकत कानून के खिलाफ थी.
यह मामला सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में चल रहा है, बीजेपी के बड़े लीडरान में शामिल रहे लाल कृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और विनय कटियार समेत दर्जनों लोग मुकदमे में मुल्जिम हैं. सुप्रीम कोर्ट की हिदायत के मुताबिक इन सभी के बयानात जल्द से जल्द करा कर सीबीआई कोर्ट को फैसला भी करना है.
हमने 1990 में शुरू हुई रामरथ यात्रा से छः दिसम्बर 1992 को बाबरी मस्जिद की मिसमारी (विध्वंस) तक का पूरा आंदोलन बहुत नजदीक से देखा और खुद को राम भक्त बताने वालों की जहरीली तकरीरें भी सुनी हैं. कल्याण सिंह हों आडवानी हों, मुरली मनोहर जोशी हों, विनय कटियार हों,
उमा भारती हों या उनके जैसे दीगर आरएसएस व बीजेपी लीडरान सबके सब ऐसी तकरीरें करते थे कि जैसे वह भगवान राम के नाम पर जान तक दे सकते हैं. उमा भारती ने एक नहीं दर्जनों बार मीडिया के सामने कहा था कि अयोध्या में भगवान राम के मंदिर के लिए मैं अपनी गर्दन भी कटवा सकती हूं, जान भी दे सकती हूं.
कल्याण सिंह ने बार-बार कहा था कि भगवान राम और उनके मंदिर के लिए एक नहीं सौ बार सरकार कुर्बान कर सकता हूं, जेल भी जा सकता हूं. लाल कृष्ण आडवानी ने लखनऊ में कहा था कि अगर राम मंदिर के लिए मुझे अपनी जान भी कुर्बान करनी पड़े तो मैं अपने आप को ‘धन्य’ मानूंगा.
इसी किस्म की लम्बी-लम्बी बाते मुरली मनोहर जोशी वगैरह भी किया करते थे. यह लोग तो भड़कीली और जहरीली तकरीरें करके निकल जाया करते थे, फिर हंगामा होता था तो फंसते वह भोले-भाले लोग थे जिनके जज्बात भड़का कर यह लोग पुलिस के पहरे में निकल जाया करते थे.
इन लोगों की जहरीली तकरीरों के जाल में फंस कर बड़ी तादाद में हिन्दू और मुसलमान दंगों में मुलव्विस हो जाया करते थे, मारे जाते थे और जेल जाते थे. छः दिसम्बर को कारसेवकों के भेष में इकट्ठा किए गए गुण्डों की भीड़ को संबोधित करते हुए इन सभी ने उन्हें भड़काया और मस्जिद तोड़ने पर आमादा किया.
मस्जिद तोड़ दी गई अब मामला जज्बाती तकरीरों के बजाए कानून और संविधान का आ गया तो सबकी हवा निकल गई.
सीबीआई कोर्ट में बड़बोले विनय कटियार से विश्व हिन्दू परिषद के चम्पत राय से मुरली मनोहर जोशी और आडवानी तक सभी ने एक ही तरह का बयान दिया है. वह यह कि मस्जिद गिराने में उनका कोई हाथ नहीं था.
उन्हें तो इस मामले में उस वक्त की सरकार ने सियासी वजूह की बिना पर झूटा इल्जाम लगाकर फंसा दिया था. उमा भारती और कल्याण सिंह ने भी यही कहा क्यों? अब आप राम भक्त नहीं रहे आप तो भगवान राम और उनके आलीशान मंदिर के लिए फांसी तक पर चढने का एलान करते रहते थे यहां तो मामला सीबीआई की स्पेशल कोर्ट का ही है जहां से अव्वल तो इस मामले मे किसी को भी सजा मिलने की उम्मीद नहीं है,
अगर सजा हुई भी तो हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाने का मौका रहेगा. इसके बावजूद इन बुजदिल संघियों ने अपने बयान ही तब्दील कर दिए किसी एक में भी इतनी हिम्मत नहीं जो बाल ठाकरे की तरह सफाई से कबूल कर ले कि हां हमने भगवान राम के मंदिर की तामीर का रास्ता हमवार करने के मकसद से मस्जिद गिरवाई थी. क्योकि मामला करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का था.
कोई यह नहीं कह कह रहा है सबके सब चोरों की तरह मुकदमे से बचने की कोशिशों में लगे दिखते हैं. इन सभी फर्जी रामभक्तों ने अदालत में जो रवय्या अख्तियार किया है वही इनका और आरएसएस के इनके पुराने पुरखों का किरदार रहा है. इनके डीएनए में ही बुजदिली भरी पड़ी है.
इनके आदर्श सावरकर ने अंग्रेजों से पांच बार माफी मांगी थी गोलवल्कर ने सरदार पटेल से तो बाला साहब देवरस ने इमर्जेर्सी में इंदिरा गांधी से माफी मांगी थी. भगवान राम के नाम पर सत्ता लूटने वाले इन बेशर्म बुजदिलों में से किसी ने चीफ मिनिस्ट्री हासिल की तो किसी ने मरकजी वजारत सैकड़ों की तादाद में यह बुजदिल बाबरी मस्जिद के मलबे पर चढ कर रियासती असम्बलियों और पार्लियामेंट तक पहुंचे,
क्योकि राम को तो इन्होने शुरू से ही सत्ता हासिल करने का बेहतरीन जरिया समझा, इनकी न तो राम में कभी कोई आस्था थी न यह उनका एहतराम करते थे. यह तो उनके नाम के जरिए सत्ता की बुलंदियों तक पहुंचना चाहते थे, अपने इस मकसद में यह कामयाब भी रहे अब राम के नाम पर अगर जेल जाने और सजा पाने का खतरा है तो इनमें से एक भी राम का बच्चा नहीं है.
बच्चा-बच्चा राम का जैसे नारे तो उन बेशुमार हिन्दुओं को भड़काने के लिए लगाया करते थे जिन्हें हकीकत में भगवान राम में इतना यकीन था कि कोठारी भाइयों की तरह सैकड़ों ने राम के नाम पर अयोध्या से मुंबई तक गोली लाठी खाकर जान दे दी. पूरे देश के अस्ल राम भक्तों,
राम में आस्था रखने वालों, उनकी मोहब्बत में अपना सब कुछ कुर्बान कर देने का जज्बा रखने वालों को चाहिए कि वह मस्जिद गिराने और गिरवाने की जिम्मेदारी से भागने वालों की गर्दन पकड़ कर पूछें कि तुम लोग सियासी मफाद के लिए फर्जी राम भक्त बने हुए थे सत्ता और काले धन की मलाई चाट चुके तो अब कानून से भाग रहे हो?
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