मंदिर मानवता का दुश्मन है और अयोध्या में राममंदिर देश के लिए कलंक बन रहा है क्यों?

BY-Dr. S.N Baudhha

क्योंकि मंदिर आस्था का केंद्र होता है और आस्था ही अंधविश्वास की जननी है क्योंकि आस्था ही गोबर पुजवाती है और मूत्र पिला देती है और जीवनदायिनी दूध पत्थरों पर गिरवाती है.

क्योंकि मंदिर 3.5%बिदेशी ब्राह्मणों और ब्राह्मणों के आने वाली पीढ़ी को भी सम्मानपूर्वक मुफ्त में खाने और कमाने का अड्डा है और सभी 96.5% लोगों को ठगने और मूर्ख बनाए रखने का प्रयास है.

मंदिर की घंटी 🔔 मनुष्य के दिमाग का ढक्कन बंद कर देती है जिससे मनुष्य की सोचने और समझने और तर्क करने की क्षमता खत्म हो जाती है. मंदिरों में कोई भगवान और देवी देवता नहीं है,

ब्राह्मणों ने लोगों के दिमाग में डर बनाये रखने के लिए ही काल्पनिक भगवानों और देवी, देवताओं को पैदा किया है और कमाई करने के लिए ही काल्पनिक भगवानों और देवी देवताओं को पैदा किया है और कमाई करने के लिए पूजा-पाठ, हवन पाखंड करते हैं.

पूजा-पाठ, हवन, पाखंड करने से किसी का कोई भी कार्य नहीं हो सकता है सिर्फ ब्राह्मणों की जेब ही भर सकती है. अयोध्या में बन रहा राम मंदिर पूरी दुनिया के लिए कलंक होगा जिससे भारत का अपमान होगा

क्योंकि राम काल्पनिक रामायण का एक काल्पनिक पात्र था और भारत सरकार काल्पनिक राम का मंदिर बनवाकर अपनी मूर्खता का ढिंढोरा पूरी दुनिया में पीट रहा है.

पूरी दुनिया भारत को बुद्ध की धरती के नाम से जानती है और इसीलिए ही भारत का विश्व में मान सम्मान है परन्तु बुद्ध के सीने पर काल्पनिक राम का मंदिर बनवाकर भारत सरकार पूरे बौद्ध

अनुयायियों के साथ घोर अत्याचार कर रही है जिसका नतीजा निश्चित ही आने वाले समय में ऐसी सरकार और ऐसे सुप्रीम कोर्ट के लिए ठीक नहीं होगा.

राम का कोई इतिहास नहीं है और वाल्मीकि कोई इतिहासकार नहीं था, वाल्मीकि रामायण और तुलसीदास के राम चरित मानस के अलावा किसी भी इतिहासकार या बैज्ञानिक ने राम के बारे में कोई जानकारी नहीं दिया है.

रामायण नामक एक काल्पनिक महाकाव्य लिखा था जिसके अनुसार राम एक काल्पनिक पात्र था इतिहास के अनुसार आज की अयोध्या का नाम ही साकेत था जो कि बौद्ध नगरी थी और साकेत एक बहुत बड़ा बिजनेस केंद्र था. जब अयोध्या ही नहीं था तो राम कहाँ पैदा हुआ था.

इतिहास के अनुसार बौद्धो का कत्लेआम कराने वाला ब्राह्मण सेनापति जिसने अपने ही सम्राट बृहदत मौर्य का धोखे से हत्या करके राजा बन गया था और वाल्मीकि को अपना दरवारी कवि बनाया. वाल्मीकि ने पुष्यमित्र सुंग को ही राम और बृहदत मौर्य को ही रावण नाम देकर काल्पनिक नाटक रामायण की कहानी लिखी थी.

भारत में सबसे बड़ा आतंकवाद है ऊंच-नीच, भेदभाव की जातियाँ और मंदिरों से जातिवाद का बढावा मिलता है. मंदिरों के कारण ही भिखारी पैदा होते हैं और पाखंडी साधुओं का धंधा भी चलता है.

ब्राह्मण, साधु-संत और भिखारी सभी मिलकर अंधविश्वास और पाखंड फैलाते है और भगवानों और देवी देवताओं का डर बना कर आम लोगों को ठगते है.

भारत में भगवानों और देवी देवताओं की संख्या जीवित इंसानों से ज्यादा है इसलिए ही हिन्दुओ को मूर्ख और भारत को मूर्खों का देश कहते हैं.

भारत में बंदर को भगवान हनुमान कह कर पूजा करते हैं और मूर्खता की हद तो तब होती है जब कहते हैं कि बन्दर हनुमान पैदा होते ही सूर्य ☀ को निगल गया था.

ब्राह्मणों की व्यवस्था जिसे हिंदू धर्म नाम देकर ब्राह्मणों ने लोगों को गुमराह किया है और काल्पनिक भगवानों जैसे कि राम, कृष्ण, दुर्गा, काली, बंदर हनुमान, हाथी के सिर वाला गणेश,

सरस्वती और यहां तक कि गाय, गोबर, सांप, कुत्ता, कुतिया और हद तो तब हो जाती है जब बेशर्म लोग अपनी बहन, बेटियों से लिंग भी पुजवा रहे हैं.

ब्राह्मणों की व्यवस्था का विरोध सबसे पहले 563 ईसा पूर्व ही पैदा हुए तथागत गौतम बुद्ध ने किया था जिसके कारण ब्राह्मणों का धंधा कम हो गया था और ‘सिंबल आफ नालेज बाबा साहब डॉ आंबेडकर’ ने ब्राह्मणों के

बनाये फर्जी भगवानों और देवी-देवताओं और ऊंच-नीच, भेद-भावपूर्ण जातियों को खत्म करने के लिए ही भारतीयों के लिए 22 प्रतिज्ञायें दी हैं.

बाबा साहब डॉ आंबेडकर के विचारों को अपना कर तथागत गौतम बुद्ध के मार्ग पर चलने से ब्राह्मणों की मानसिक गुलामी और ऊंच-नीच, भेद-भावपूर्ण जातियाँ और अंधविश्वास और पाखंड से बाहर निकल कर बैज्ञानिक मार्ग पर चल सकते हैं.

आज भी जिन देशों में तथागत गौतमबुद्ध और सिंबल आफ नालेज बाबा साहब डॉ आंबेडकर की विचारधारा है सभी आर्थिक और सामाजिक रूप से विकसित है.

बौद्ध आचार्य डॉ एस एन बौद्ध प्रेसीडेंट नेशनल एंड इन्टरनेशनल बुद्धिस्ट सोसाइटी इंडिया

(Disclaimer: ये लेखक के निजी विचार हैं) 

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