मिली सूचना के मुताबिक भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में संपन्न आम चुनाव इतिहास बनता नजर आ रहा है जहां सत्ता में राज्य पक्षी बंधुओं का वर्चस्व दिखा है.
आपको बताते चलें कि श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना पार्टी(SLPP) ने दो तिहाई बहुमत से शानदार जीत प्राप्त किया है. इस जीत के साथ ही महिंदा राजपक्षे पुनः सत्ता में दावेदार हो गए हैं.
अभी तक गोटाबाया राजपक्षे यहां के राष्ट्रपति थे जबकि उनके बड़े भाई महिंदा राजपक्षे कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभा रहे थे, किंतु चुनाव में हुई भारी बहुमत के साथ ही अब इनका प्रधानमंत्री बनना लगभग तय हो चुका है.
राजपक्षे बंधुओं की सबसे बड़ी उपलब्धि श्रीलंका में लिट्टे(लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) को कुचलने का जाता है क्योंकि 2009 में महिंदा राजपक्षे श्रीलंका के राष्ट्रपति थे, जब भी उनके छोटे भाई गोटाबाया राजपक्षे रक्षा सचिव थे.
लिट्टे की बगावत को समाप्त करने के साथ ही श्रीलंका में गृह युद्ध की समस्या को सदैव के लिए समाप्त कर दिया गया. इसका लाभ दोनों भाइयों को चुनाव में देखने को मिला है, दोनों सिंहली समुदाय से तालुक रखते हैं और इस समुदाय में इनकी लोकप्रियता भी गहरे तक समाई हुई है.
आज श्रीलंका सहित दुनिया के अनेक देश कोरोनावायरस महामारी से संक्रमित हैं और अर्थव्यवस्था की हालत बहुत खराब हो चुकी है. अतः श्रीलंका को इस मौजूदा मुश्किल दौर से कैसे छुटकारा दिलाएंगे, इसकी भी जिम्मेदारी और दोनों भाइयों पर आ चुकी है.
हालांकि महिंदा राजपक्षे का झुकाव चीन की तरफ ज्यादा हुआ है क्योंकि ऐसी सूचना है कि चीन ने इस देश में निवेश करके श्रीलंका का विश्वास जीता है, फिर भी भारत के प्रधानमंत्री ने महिंदा राजपक्षे को जीत का बधाई संदेश दिया है.
इधर कुछ दिनों से भारत-चीन के बीच सीमा विवाद काफी हद तक बढ़ा है, छिटपुट दोनों देशों के बीच झड़प की भी खबरें हैं, खुद 20 से अधिक भारतीय सैनिक बॉर्डर पर भारत चीन सीमा पर मारे गए हैं.
ऐसे में भारत, श्रीलंका के साथ किस तरह से द्विपक्षीय संबंधों को संतुलित करेगा यह सोचने का पहलू है.