देश के प्रसिद्ध वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण द्वारा किए गए ट्वीट के कारण अब वे घिरते नजर आ रहे हैं. मिली सूचना के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के जज अरुण मिश्रा की बेंच ने उन
पर संज्ञान लेते हुए वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना का गंभीर आरोप लगाया है. आपको यहां बताते चले कि प्रशांत भूषण ने जो मामले ट्वीटर के जरिए उठाया था-
Supreme Court holds Prashant Bhushan guilty of contempt for tweets against court, CJI SA Bobdehttps://t.co/glQrd8giuw pic.twitter.com/eDRbjdZd95
— Hindustan Times (@htTweets) August 14, 2020
पीएम केयर्स फंड पर सवाल, लॉकडाउन में फंसे मजदूरों के हक की मांग, राफेल विमान में पुनर याचिकाएं, आरटीआई को कमजोर करने की कोशिश, जस्टिस लोया की मौत की जांच की अपील करना इत्यादि.
इसके अतिरिक्त प्रशांत भूषण 500 अलग-अलग जनहित याचिकाओं की पैरवी करने के लिए भी जाने जाते हैं. यह ऐसे अधिवक्ता हैं जो जनहित के मामलों में व्यक्तिगत रूप से रूचि लेकर उनको सरकार के समक्ष उठाते हैं.
यही वजह है कि सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन के साथ-साथ पीपल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी और ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल जैसी बड़ी संस्थाओं के साथ भी यह जुड़े हुए हैं.
देश में बिगड़ी न्याय व्यवस्था को लेकर गंभीर रूप से चिंतित रहने वाले प्रशांत भूषण कंप्लेंट फॉर ज्यूडिशियल अकाउंटे बिलिटी ज्यूडिशियल रिफॉर्म की वर्किंग कमेटी के भी संयोजक रहे हैं.
वर्ष 2012 में आम आदमी पार्टी जिसकी स्थापना दिल्ली में की गई, उसमें यह शामिल रहे किंतु आपसी मनमुटाव और कुछ खामियों के कारण पार्टी से इन्हें योगेंद्र यादव के साथ बाहर कर दिया गया.
1/5 It is unfortunate that @pbhushan1 has been held guilty of contempt of court for his tweets criticising the functioning of the judiciary. Outdated provisions of criminal contempt laws in India must not be used to punish critics of the judiciary. #prashantbhushan pic.twitter.com/lbOjqx4HeF
— Amnesty India (@AIIndia) August 14, 2020