केंद्र सरकार द्वारा गठित ‘एनआरए’ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कितना है सार्थक?

  1. हर वर्ष दो बार Common Eligibility Test (CET) करवाएगी. ग्रेजुएट, इंटर, हाईस्कुल के लिए अलग अलग Common Eligibility Test (CET) आयोजित किया जायेगा.

2. इसमें प्राप्त स्कोर तीन साल के लिए वैध होंगे, यह एक तरफ से भारत में केन्द्रीय तौर पर 20 बोर्ड द्वारा आयोजित करवाई जा रही परीक्षाओ की प्रारम्भिक परीक्षा का रूप लेगी.

3. भारत में सबसे ज्यादा भर्ती करवाने वाले बोर्ड अथार्त कर्मचारी चयन आयोग(SSC), बैंकिंग के लिए IBPS, रेलवे बोर्ड को यह स्कोर भेजे जायेंगे, जिसके बाद वो दुसरे और तीसरे चरण की परीक्षा आयोजित करवाएंगे.

4. कुछ समय बाद भारत सरकार के विभागों, या अर्ध सरकारी या किसी भी प्रकार की परीक्षाओ के लिए प्रारम्भिक परीक्षा के तौर पर National Recruitment Agency (NRA) के स्कोर को अपनाया जायेगा.

5. अगर राज्य सरकार चाहेगी तो उन्हें भी प्रारम्भिक परीक्षा के तौर पर इन स्कोर को उनके पास भी भेजा जायेगा.

इसके निम्नलिखित लाभ होंगे.

  1. भारत के हर जिले में परीक्षा केंद्र होगा अब दुसरे जिलो में पेपर देने नही जाना पड़ेगा. 2.  प्रतियोगियो को पास के केंद्र को चुनने का ऑप्शन भी होगा. जैसे किसी के घर के नजदीक परीक्षा केंद्र है तो उसके लिए ऑन्लाइन आवेदन कर देगा.
    3. छात्रों को प्रारम्भिक परीक्षा के लिए 20 बोर्ड के द्वारा आयोजित परीक्षा के लिए अलग अलग पेपर देना पड़ता था, फ़ीस भी अलग अलग देनी पडती थी. हर बार पेपर देने जाना पड़ता था.
  2. 4. अब प्रारम्भिक पेपर एक बार ही देना होगा जिसका स्कोर मिलेगा. 5. वो स्कोर सभी बोर्ड को भेजा जायेगा. बोर्ड जारी विज्ञापन की शीट के अनुसार एक निश्चित स्कोर तक विधार्थियो के बाकी के चरणों के लिए परीक्षा आयोजित करवाएगी.

इससे प्रतियोगियों के पैसे व समय की बचत होगी.

निष्कर्ष:
मोदी सरकार की खूबी है कि वो “फिल गुड” का एहसास करवाती है. क्योंकि

  1. रेलवे निजीकरण की राह पर है. नौकरियां खत्म की जा रही हैं. नये पद स्रजन नही हो रहे हैं. पद सरेंडर किये जा रहे हैं.

2. मोदी सरकार ने एसएससी के अंतर्गत आने वाले कई लाख पद सरेंडर कर दिए. नये पदों पर भर्ती रो-रोकर की जा  रही है.

3. बैंको के निजीकरण की घोषणा हो चुकी है तथा जल्द ही कई बैंक प्राइवेट दिखेंगे.

अब इन सभी के बाद भी National Recruitment Agency नाम का झुनझुना पकड़ा दिया गया है जिसके अंदर से गोली निकाल दी गयी है. अथार्त बजाते रहो लेकिन आवाज नही आयेगी. वैसे,

“अगर निजीकरण, विलय वगैरह न होता तो सरकार की यह घोषणा काफी महत्वपूर्ण है. इससे प्रतियोगियों को काफी ज्यादा लाभ थे. लेकिन दिक्कत यह है कि नौकरियां खत्म हैं, इसके कोई लाभ नही होगे”.

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