देश में जब कोरोना संक्रमण से 39 लाख से अधिक लोग संक्रमित पाए गए हैं तो ऐसे मुश्किल हालात में भी बिहार राज्य में विधानसभा चुनाव को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेता लगातार रैलियां करते हुए जनता के समक्ष अपने कार्यों को गिनाते हुए वोट की अपील कर रहे हैं.
इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि आज बिहार राज्य में प्रत्येक दिन लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा ‘करोना जांच’ सफलतापूर्वक की जा रही है तथा 11,000 आरटी पीसीआर(RT-PCR) जांच भी संचालित हो रही है और शीघ्र ही इसको बढ़ाकर 20,000 तक करने का लक्ष्य है.
Many people in Bihar keep criticising us, without any information. In March, we had decided to increase testing capacity for #COVID19 & today over 1 lakh 50 thousand people are being tested every day. We have more than sufficient arrangements for COVID here: Bihar CM Nitish Kumar pic.twitter.com/lTcPEbc7Ui
— ANI (@ANI) September 7, 2020
उन्होंने कोविड-19 से सचेत रहने के लिए बिहार के सभी लोगों से हाथ जोड़ कर अपील किया है और कहा है कि आप लोग सोशल डिस्टेंसिंग तथा कोरोनावायरस से बचने के लिए जो भी सुझाव सरकार और चिकिस्तकों के द्वारा बताए गए हैं जैसे- मास्क पहनना, सैनिटाइजर का प्रयोग, नियमित तौर पर हाथों को धुलाई का कड़ाई पालन करें.
अपने कार्यकाल की उपलब्धियों को गिनाते हुए सीएम नीतीश ने बताया कि उनके शासन के दौरान अपराध में गिरावट आई है. 2005 में जब उन्होंने सत्ता संभाली तो उसी समय से अपराध पर जीरो टॉलरेंस का रुख अपनाया ताकि कानून व्यवस्था सुचारू रूप से चल सके.
बिहार में अधिकतर अपराध का कारण भूमि विवाद है जिसको उनकी सरकार ने सफलतापूर्वक निपटाने का कार्य किया है. तथा लालू यादव के शासन काल पर तंज कसते हुए कहा-
“लालू-राबड़ी के समय हालात इतने बुरे थे कि बिहार में सामूहिक नरसंहार होता था. लोग गाड़ियों में राइफल दिखाते हुए चलते थे. बिहार के लोगों के जीवन में नए रोशनी लाने के लिए कृषि आधारित उद्योग
के विषय में नीति बनाई तथा राज्य पर्याप्त संख्या में कोरोनावायरस से निपटने के लिए कॉल सेंटर, डॉक्टर से परामर्श की सुविधा, मेडिकल किट, अस्पतालों में बेड आदि का पर्याप्त व्यवस्था कराने का कार्य किया है.
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हालांकि इन अच्छाइयों के बावजूद इस समय नीतीश कुमार के विरुद्ध वहां विपक्षी दल ने उनकी खामियों को गिनाते हुए कई आरोप लगाए हैं. जैसे- लॉकडाउन के दौरान जो प्रवासी मजदूर
अपने घरों की ओर दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक जैसे राज्यों से पैदल ही लौट रहे थे तो नीतीश ने उनके लिए कुछ नहीं किया वही बाढ़ के कारण 15 लाख से अधिक लोग बेघर हुए हैं.
नौकरियों का कोई पता नहीं है, शिक्षा और सुरक्षा के मामले पर भी ये घिरते नजर आ रहे हैं.