उत्तर प्रदेश ,सरकार द्वारा ग्रुप बी और सी की स्थाई नौकरियों से पहले 5 वर्ष की कठिन संविदा का प्रावधान लाने के प्रस्ताव के विरुद्ध पूर्वांचल सेना के कार्यकर्ताओ ने अपने माथे पर काली पट्टी बांधकर व हाथों में तख्ती लेकर नारेबाजी किया.
कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे पूर्वांचल सेना अध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप ने कहा कि-“वर्तमान सरकार द्वारा लाए जा रहे 5 वर्ष के संविदा प्रक्रिया में कर्मचारियों को स्थाई सरकारी नौकरियों के बराबर न तो वेतन मिलेगा और ना ही सुविधाएं जो कि न्यूनतम वेतन की अनिवार्यता और समान कार्य हेतु समान वेतन नियम के खिलाफ है.”
इसी प्रकार के गुजरात सरकार में फिक्स पे सिस्टम मामले में सुप्रीम कोर्ट के दिए गए निर्णय के भी खिलाफ है. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों के लिए कार्य दक्षता, समर्पण आदि का मूल्यांकन हर 6 महीने पर होना है
तथा 60% से कम अंक लाने वाले को कार्यमुक्त किए जाने के इस फार्मूले से कर्मचारी का मूल्यांकन करने वाले अधिकारी को असीमित शक्ति मिल जाएगी जिसके दुरुपयोग होना तय है
जिसका दुष्परिणाम होगा कि संविदा कर्मचारी अपनी ड्यूटी के प्रति वफादार होने के बजाय इन अधिकारियों के हिसाब से काम करेगा. इन अधिकारियों के द्वारा संविदा कर्मचारी 5 वर्ष के दौरान संविदा कर्मचारी के आर्थिक, शारीरिक और मानसिक शोषण का द्वार भी खुल जायेगा.
उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर गोरखपुर विश्वविद्यालय में तैनात संविदा कर्मियों की ड्यूटी 24 घंटे हैं, उनके साथ मनमाना काम लिया जाता है.
संविदा कर्मियों के साथ आए दिन यह घटना होती है कि सैलरी की रिसीविंग ज्यादा होती है लेकिन भुगतान कम किया जाता है. जिलाध्यक्ष सुरेंद्र वाल्मीकी में कहा कि-
5 वर्ष के लंबे संविदा के इस फार्मूले में कर्मचारियों में हमेशा असुरक्षा का भाव बना रहेगा साथ ही वह अपने भविष्य को लेकर अनिश्चितता में जीयेगा और शादी-विवाह, बच्चे जैसी निजी जीवन के पहलुओं पर बुरा असर पड़ेगा, यह असुरक्षा बोध उसकी कार्यक्षमता पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा.
उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों के नियमावली में पहले से ही नियम अथवा गुणवत्ता विरुद्ध कार्य करने, भ्रष्टाचार या दुराचार करने पर उसके विरुद्ध कार्यवाही का प्रावधान है तो अन्य व्यवस्था उन्हें प्रताड़ित करने वाली ही लग रही है.
यह सामान्य गणित है कि यदि उच्च शिक्षा के लिए नियुक्त होने वाला अध्यापक 35 वर्ष में पीएचडी करता है और 5 वर्ष संविदा की प्रक्रिया से गुजरता है तो वह 40 वर्ष का हो जाएगा और आपके द्वारा लाए गए नियम के अनुसार 50 वर्ष में उसको रिटायरमेंट दे दिया जाएगा.
ऐसे में उसके जीवन में की गई पढ़ाई-लिखाई, मेहनत की सार्थकता क्या होगी? 50 की उम्र के बाद जीविकोपार्जन कैसे हो पाएगा? यह प्रक्रिया पूरी तरह से श्रम कानूनों की भी अवहेलना करती है, इससे सरकारी नौकरियां बंधुआ मजदूरी की तरह हो जायेंगी.
इसीलिए 5 वर्षीय संविदा व्यवस्था को लेकर छात्रों, प्रतियोगी छात्रों में एक आशंका व सरकार के प्रति आक्रोश पनप रहा है जो जल्द ही आंदोलन का रूप लेगा, सरकार को इसे रद्द करना चाहिए.
इस अवसर पर राजकुमार, प्रशांत राव, नसीम कॉमरेड, शम्भू नाथ, अविनाश कुमार, ईश कुमार, कुलदीप कुमार, मंजेश, सुधीराम उपस्थित रहे.