गिलगित-बाल्टिस्तान के लोग अमानवीय अत्याचार से त्रस्त होकर भारत में रहने की जताई इच्छा

पाकिस्तान में आने वाले इलाके गिलगित-बाल्टिस्तान के क्षेत्र में लगातार कई वर्षों से होने वाले अमानवीय अत्याचार से त्रस्त होकर वहां के लोगों ने भारत के लद्दाख क्षेत्र का हिस्सा बनने के लिए इच्छा जताई है.

इस संबंध में यहां के लोगों पर होने वाले अत्याचार को रोकने के लिए संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्त्ता अहमद अयूब मिर्जा ने स्वयं ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ में इस क्षेत्र को भारत में समाहित करने के लिए मांग उठाई है.

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अपना दुख जाहिर करते हुए मिर्जा ने कहा है कि-“पाकिस्तान ने दुनिया को नकली कहानी से सम्मोहित किए हुए है जबकि यहां के लोग पाकिस्तान से आजादी पाने के लिए बेताब हैं.”

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए मिर्जा ने बताया है कि गिलगित-बाल्टिस्तान के नौजवान राष्ट्रीय संसाधनों की धज्जियां उड़ाने के विरोध में 70 से 90 साल की सजा काट रहे हैं.

हमारी महिलाओं ने नियंत्रण रेखा पर सीमा पार से होने वाली गोलीबारी के विरुद्ध कवर देने से भी इनकार कर दिया है. इसकी मुख्य वजह पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा उन महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करना है.

यहां के लोगों पर किस तरीके से शोषण किया जा रहा है इस विषय में उन्होंने उदाहरण दिया कि पीने के पानी के साथ नलों में खून आता है क्योंकि पानी पीये जाने वाले पाइप लीक हो चुके हैं और यह सीधे पानी के पाइप में आते हैं.

सबसे दुखद पहलू यह है कि इन सब बातों का विरोध करने पर अमानवीय सजा देता है.

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