बेरोजगारी के मुद्दे पर युवाओं के आक्रोश को देखकर जागी उत्तर प्रदेश सरकार

           जिस ओर जवानी चलती है, उस ओर जमाना चलता है

यह बात आज के संदर्भ में रोजगार जैसे मुद्दे को लेकर युवाओं के आक्रोश का आकलन करके सरकार ने जो निर्णय लिया है, उससे सिद्ध हो जाता है.

आपको बताते चलें कि पिछले दिन 17 सितंबर को पीएम नरेंद्र मोदी का जन्मदिन था जिसको विपक्ष ने बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए देश भर में व्यापक प्रदर्शन किया.

इस प्रदर्शन से उत्तर प्रदेश की सरकार में बड़ी खलबली मची है और यही वजह है कि मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने राज्य के अलग-अलग विभागों में रिक्त पदों की संख्या का ब्यौरा इकट्ठा कराने का आदेश दिया है.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि-“आने वाले 3 माह में भर्ती की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा तथा 6 माह के भीतर ही चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र भी दे दिए जाएंगे.”

बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर केंद्र में की गई घोषणाओं सहित राज्यों में भर्ती प्रक्रिया एक तो बहुत ही धीमी है और दूसरी ओर वैकेंसी का टोटा लंबे समय से देख जा रहा है.

वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं के लिए प्रतिवर्ष दो करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था किंतु रोजगार देना तो दूर की बात रही,

करोड़ों की संख्या में युवाओं को उल्टे नौकरियों से निकाल दिया गया है. इन सभी वादाखिलाफी को देखकर प्रतियोगी छात्रों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए सोशल मीडिया से लेकर

अन्य प्लेटफार्म पर विरोध प्रदर्शन किया है और चेतावनी भी जारी किया कि यदि सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो और कड़े आंदोलन शुरू किए जाएंगे.

 

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