नवजोत सिद्धू: पारित विधेयक किसानों के अस्तित्व के लिये खतरनाक, जताया कड़ा विरोध

पंजाब में जिस कदर किसान बिल के विरुद्ध रोष जताया जा रहा है देखकर लगता है कि आने वाले चुनाव में भाजपा को बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है.

जी हाँ लगभग एक के बाद कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार नवजोत सिद्धू पुनः अपने फॉर्म में आ गये हैं. उन्होंने किसान और व्यापार से जुड़ी एपीएमसी कमिटी के समाप्त होने की आशंका तथा इस बिल को लेकर का कड़ा प्रतिकार करते हुए ट्वीट किया है.

सिद्धू ने लिखा है कि- “यह किसानों के लिए काला कानून है जो सभी किसान समुदायों का विनाश कर देगा.”

सिद्धू ने यहाँ तक कहा है कि- सरकारें तमाम उम्र यही भूल करती रहीं, धूल उनके चेहरे पर थी और वे आइना साफ़ करती रहीं.

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने यह भी बताया कि किसान पंजाब की आत्मा है. शरीर के घाव ठीक हो जाते हैं किन्तु आत्मा के नहीं.

हमारे अस्तित्व पर हमला बर्दाश्त नहीं है. युद्ध का बिगुल बजाते हुए क्रांति को जीते रहो. पंजाब, पंजाबी और हर पंजाबी किसानों के साथ है.

आपको यहाँ बता दें कि अभी कुछ दिनों पूर्व किसानों से जुड़े इस विधेयक के प्रति विरोध दर्ज करते हुए केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने मोदी केबिनेट से इस्तीफा दे दिया है.

क्या होती है एपीएमसी कमिटी?

किसानों को उनकी उपज का सही तथा लाभकारी मूल्य की व्यवस्था कराने के उद्देश्य से 1970 के दशक में एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी एक्ट पारित किया गया.

इन समितियों का मूल उद्देश्य बाजार की अनिश्चितताओं से किसानों को सुरक्षा प्रदान करना था, अधिकांश राज्यों ने अपने- अपने सुविधा के अनुसार किसानों के शोषण को रोकने के लिए कार्य किया, किंतु अपनी व्यवस्था और जरूरत के अनुसार इसे पूरा नहीं किया जा सका.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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