मात्र कुछ ही वर्ष पहले बोलिविया ने भी निजीकरण की रफ्तार पकड़ी थी….

सब कुछ निजीक्षेत्र को दिया जाने लगा आखिर कार सरकार ने पानी का भी निजीकरण कर दिया, 1999 में एक मल्टीनेशनल कंपनी को पानी के सर्वाधिकार बेच दिए गए.

पानी के रेट इतने बढ़ गए कि हाहाकार मच गया, औसतन प्रति मास आधा वेतन पानी के लिए खर्च होने लगा लोग नहरों से पीने का पानी भर कर लाने लगे तो नहरों नदियों पर फ़ौज व पुलिस की तैनाती करवा दी गई.

दुखी जनता बारिश का इंतजार कर रही थी तो नया आदेश आ गया कि कोई भी आदमी बारिश का पानी इकठ्ठा न करे ये इस कम्पनी का है पानी इकठ्ठा करने पर चोरी का केस दर्ज होगा.

खैर लोगो की आंखों की पट्टी खुली तो जमकर विरोध हुआ, अनेक लोगो को गोलियों से भून दिया गया क्योंकि पुलिस और फ़ौज तो होती ही सरकार के लिए है और सरकार होती है पूंजीपतियों की जेब में.

बोलिविया जल युद्ध का पूरा विवरण है NCERT सामाजिक विज्ञान 10TH CLASS की पुस्तक में,मिल जाएगा नही मिला तो और गूगल बाबा तो हैं ही.

जनता की मूलभूत आवश्यकताओं सेजुड़ी चीजों जैसे-रोटी, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य का निजीकरण कितना उचित?

(यह लेख डीपी भारतवासी जी के फेसबुक पेज से लिया गया है)

आप हमें कमेंट्स और मेल कर सकते हैं:  

Leave a Comment

Translate »
error: Content is protected !!