देश में सबसे अधिक बलात्कार का शिकार दलित महिलाएं ही क्यों?

यह एक संवेदनशील मुद्दा है जिसे लेकर देश में घटने वाली घटनाएं विचार करने के लिए विवश कर रही हैं. उत्तर प्रदेश जिले के हाथरस से लेकर बुंदेलखंड,

आजमगढ़ तक जिस तरह की बालिग और नाबालिग युवतियों के साथ बलात्कार ही नहीं बल्कि नृशंस हत्या की गई है उसके कारणों की पड़ताल करें तो कई सारे कारक उभर कर सामने आए हैं.

दलित मामलों से संबंधित जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर से जब इस संबंध में प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने बताया कि- इस समाज की गरीबी और उच्च जातियों का दंभ बड़ा कारण है.

जबकि एक और सामाजिक कार्यकर्ता और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर कौशल पंवार ने कहा कि- “भारत में खासकर दलित महिलाओं के साथ होने वाले बलात्कार के मामलों में 90% कारण उनकी जाति है.”

Dalit woman gang-raped in UP battles for life - india news - Hindustan Times

अगर आप किसी गांव में जाकर वहां पर दलित बस्तियों का पता पूछने पर आपसे कई जुड़े प्रश्न पूछ लिये जाते हैं. हालांकि शहरों में काफी हद तक जातिवाद है,

लेकिन ग्रामीण इलाकों में अभी भी जाति के नाम पर अलग-अलग गांव का बंटवारा किया गया जिसके कारण स्थानीय लोगों को पता होता है कि गांव में किसकी क्या हैसियत है.

How she dared to sit on a chair? Dalit woman, a school worker, attacked in  Ahmedabad

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर और काशीराम जैसे नेताओं के आने से दलितों को अपने अधिकारों के बारे में पता चला तो उन्होंने भी अपने हक को मांगना शुरू कर दिया.

इसी दौरान ग्रामीण इलाकों में जब शिक्षित महिलाओं ने आवाज उठाना शुरू किया तो महिलाओं के साथ इस तरह के दुष्कर्म करके उन्हें डराया जाने का प्रयास किया जा रहा है.

“उच्च जाति के लोग रेप करके दिखाना चाहते हैं कि हम लोग अभी भी तुम लोगों से बहुत ऊपर है यदि किसी तरह की आवाज उठाने की कोशिश किया जाएगा तो प्रत्येक दलित महिला के साथ ऐसा ही कुकृत्य होगा.”

एक अन्य कारण के रूप में यह भी है कि उच्च जातियों के लोगों के राजनीति के साथ प्रशासनिक पहुंच होती है जिसके कारण यदि कोई महिला आवाज उठाना चाहती है तो उसे दबा दिया जाता है.

वास्तव में बलात्कार करके किसी दलित महिला की हत्या कर देना जातिवादी मानसिकता का चरम स्तर है. ऐसा इसलिए भी है क्योंकि रेप करने वाले को पता है कि-

यह महिला दलित है और राजनीति से लेकर कानून व्यवस्था तक इसकी कोई पहुँच नहीं है. ऐसे में यह हमारे खिलाफ कोई कानूनी लड़ाई नहीं लड़ सकती है.

आपने हाथरस के मामले में देखा होगा कि किस तरह से डीएम सहित पुलिस प्रशासन द्वारा पीड़िता के परिवार को डराया जा रहा था. इस विषय में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का कहना है कि करीब 12% अपराधिक घटनाएं दलित महिलाओं के साथ हुई जो पूरे देश में घटने वाली दलित महिलाओं के साथ घटनाओं का 25.8 प्रतिशत है.

एनसीआरबी की रिपोर्ट की माने तो वर्ष 2017 में बताया गया कि उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए सबसे असुरक्षित राज्य है क्योंकि अन्य राज्यों की तुलना में यहां सबसे अधिक घटनाएं घटी हैं.

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