उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में 14 सितम्बर को घटने वाली मनीषा वाल्मीकि कांड जिसमें गैंगरेप के बाद इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई थी,
जन आक्रोश के कारण खराब होती स्थिति को देखकर पुलिस ने आनन-फानन में मृतका मनीषा की लाश को आधी रात में पुलिस प्रशासन ने जबरदस्ती दाह संस्कार कर दिया.
हालाँकि लड़की के परिजन बार बार पुलिस प्रशासन के समक्ष गिड़गिड़ाते रहे कि उनकी बिटीया का शव उन्हें सौंपा जाये ताकि वे अंतिम समय में उसका चेहरा देख सकें,
और सुबह में दाह संस्कार कर सकें किंतु यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुलिस ने उनकी एक न सुनी. प्रशासन की इस हरकत पर अनेक राजनीतिक संगठनों ने विरोध शुरू कर दिया है.
पहले तो प्रशासन ने पीड़िता के घर से मीडिया को दूर रखा था किंतु अब मीडिया के साथ-साथ राजनीतिक दल के नेताओं को भी परिवार से मिलने की इजाजत दे दी है.
मीडिया से बातचीत के दौरान पीड़ित परिवार ने कहा है कि- “वह अस्थियों को नहीं लेगा क्योंकि पता नहीं किसकी अस्थियां हैं ये? जब हमारी बिटिया की शक्ल तक नहीं दिखाई गई तो हम हड्डियां लेकर के क्या करेंगे?”