आज जब देश में भयंकर आर्थिक तबाही है, जीडीपी -24 पर पहुंच चुकी है, युवाओं के पास रोजगार नहीं है, बड़े स्तर पर बेरोजगारी बढ़ी है, सरकारी संस्थाओं का तेजी से बढ़ते निजीकरण के कारण लाखों लोगों की नौकरियां छीन गईं.
यहां तक कि कोरोनावायरस महामारी के कारण देश में घोषित लॉकडाउन में शहरी मजदूर और कामगार सहित छोटे-छोटे बच्चे, महिलाएं, बुजुर्ग, गर्भवती माएं जो 2000 किलोमीटर तक पैदल चलकर अपने गंतव्य स्थल पर पहुंचीं.
किन्तु केंद्र और राज्य सरकारें एक साथ मिलकर इन बेबस लोगों को बस, ट्रेन का सहारा नहीं दे सकी, वैसे देश का प्रधानमंत्री अपने व्यक्तिगत मौज के लिए 8500 हजार करोड़ के दो-दो विमान खरीद लिया.
कभी राम मनोहर लोहिया ने प्रधानमंत्री नेहरू के रोजाना खर्च पर सवाल उठाया था तो उस समय राजनीति में खूब हाहाकार मचा था. उसकी चर्चा आज भी गाहे-बगाहे राजनीतिक गलियारों में होती रहती है.
किंतु यह विडंबना ही है कि मौजूदा प्रधानमंत्री के खर्च पर उठने वाले सवालों को दबा दिया जाता है. आज देश में भयंकर आर्थिक तबाही की हालत है और प्रधानमंत्री को इससे कोई मतलब ही नहीं है.
वैसे भी पीएम ने पहले ही कहा था मैं तो फकीर हूँ, झोला उठाकर चल दूंगा. यहां तक कि पीएम तो आपदा में भी अवसर ढूंढते हैं. तभी तो कोरोना महामारी जैसी विपदा में जिसके कारण 71 लाख से अधिक लोग संक्रमित पाए गए हैं और हजारों लोगों की मृत्यु हो गई है,
के दौरान उन्होंने अवसर देखकर अपने लिए 8500 हजार करोड़ के विमान खरीदे हैं. जो चाटुकार दस लाख का सूट पहनने वाले प्रधानमंत्री को फकीर कहते हैं, वह आला दर्जे के चाटुकार हैं जिसकी जितनी भी निंदा कर दी जाए वह कम होगी.