मिली जानकारी के मुताबिक कोरोना महामारी के संक्रमण के दौर में जिन संपादकों, पत्रकारों और मीडिया कर्मियों ने संपूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं का कवरेज किया था उन पत्रकारों को आड़े हाथों लेते हुए विभिन्न राज्यों की सरकारों ने कई मुकदमे दर्ज कर दिए हैं.
#MediaShot | The International Federation of Journalists and the International Press Institute wrote a joint letter to PM Narendra Modi urging him to take “immediate steps to ensure that journalists can work without harassment and fear of reprisal”.https://t.co/OMhfLeXkBq
— newslaundry (@newslaundry) October 22, 2020
ऐसे में दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ‘द इंटरनेशनल प्रेस इंस्टिट्यूट’ तथा ‘इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट्स’ ने प्रधानमंत्री मोदी से पत्र लिखकर विशेष तौर पर आग्रह किया है कि-“पत्रकारों पर लगने वाले आरोपों तथा उनके उत्पीड़न को तत्काल रोका जाए.”
आपको यहां बताते चले कि कुछ पत्रकारों के ऊपर तो आईपीसी की धारा 124 ए के अंतर्गत राजद्रोह तक के मुकदमे दर्ज किए गए हैं.
The International Federation of Journalists and the International Press Institute on 21 Oct, wrote a letter to PM Modi urging him to take "immediate steps to ensure journalists can work without harassment and fear of reprisal".@narendramodi#journalismhttps://t.co/eUjvY9MM3f
— The Logical Indian (@LogicalIndians) October 22, 2020
इस संबंध में सबसे गंभीर मामला केरल के पत्रकार सिद्धि कप्पन का है जिन्होंने उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में घटित मनीषा बाल्मीकि कांड की रिपोर्टिंग किया है.
इन संस्थानों ने लिखा है कि स्वास्थ्य संकट का उपयोग उन लोगों को चुप कराने के लिए किया जा रहा है. इन्होंने सरकार की कमियों को उजागर किया है जिसे सरकार होने नहीं देना चाहती है.
हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि सच्चे और वास्तविक लोकतंत्र का महत्व तभी सामने आ सकता है जब मीडिया को बोलने की आजादी हो.