मायावती बाबा साहेब का नाम लेकर राजनीति तो करती हैं लेकिन मनुवादियों से हाथ मिलाने से परहेज नहीं करतीं

भाकपा (माले) की उत्तर प्रदेश राज्य इकाई ने कहा है कि जब संविधान, लोकतंत्र और कानून का राज खतरे में चल रहा है तो ऐसी विषम परिस्थिति में बसपा ने भाजपा के साथ हाथ मिलाकर फासीवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने का कार्य किया है.

इस विषय में माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव की ओर से एक बयान में कहा गया है कि राज सभा सांसद चुनाव के मौके पर बसपा के कुछ विधायक यदि सपा की ओर गए तो उसकी प्रतिक्रिया में बसपा प्रमुख द्वारा आगामी चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट करने की घोषणा करना बहुजन समाज के साथ धोखा है.

जिस समाज की राजनीति करके मायावती उत्तर प्रदेश की तीन-तीन बार मुख्यमंत्री बनी. माले राज्य सचिव ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि-

“मायावती ने भाजपा का समर्थन करने की बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्होंने अतीत की गलतियों से कोई सबक नहीं लिया है.”

माले ने अंबेडकर के उस कथन को भी याद दिलाया जिसमें उन्होंने कहा था कि हिंदू राष्ट्र भारत के लिए विपत्ति होगी यह बात आज के मोदी-योगी राज से स्वत: स्पष्ट हो जाती है.

यह बहुत ही आश्चर्यजनक विषय है कि जो मायावती बाबा साहब का नाम लेकर राजनीति करती है वह हिंदू राष्ट्रवादी और और मनुवादियों से हाथ मिलाने से परहेज नहीं करती है. यह कहीं ना कहीं बसपा राजनीति का अंत लगता है.

भाजपा के साथ जाने का फैसला मायावती के इस व्यवहार को भी स्पष्ट कर देता है कि वह यूपी में चल रहे जंगलराज की भी सह भागीदार है. ऐसा लगता है कि बहुजन समाज शायद ही उन्हें कभी माफ करे.

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