मिली सूचना के मुताबिक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर अक्सर अपने बयानों के कारण सुर्खियों में रहते हैं. अपनी नई पुस्तक ‘द बैटल ऑफ बिलॉन्गिंग’ का विमोचन करते हुए एक बार फिर इन्होंने हिंदुत्व का मुद्दा उठाया है,
शशि थरूर ने ‘हिंदुत्व’ को 1947 की मुस्लिम सांप्रदायिकता का ‘प्रतिबिंब’ करार देते हुए कहा कि इसकी सफलता का मतलब यह होगा कि भारतीय अवधारणा का अंत हो गया।इस बात पर भी जोर दिया कि ‘हिंदुत्व’ कोई धार्मिक नहीं, बल्कि ‘राजनीतिक सिद्धांत’ है। #TheBattleOfBelonging https://t.co/HCSbHMAtft
— TheBattleOfBelonging (@BelongingBattle) October 31, 2020
तथा उन्होंने वर्तमान हिंदुत्व को 1947 की मुस्लिम सांप्रदायिकता का प्रतिबिंब करार दिया है. थरूर ने इस विषय में कहा है कि यदि यह सफल हो गया तो इसका अर्थ यह होगा कि भारत के अवधारणा का अंत हो जाएगा.
दरअसल हिंदुत्व कोई धार्मिक नहीं बल्कि राजनीतिक सिद्धांत है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए थरूर ने बताया कि जो लोग खूबसूरत भारत को स्वच्छ मेरी तरह रखना चाहते हैं, उसकी परवरिश इस तरीके से कर रहे हैं कि यहां धार्मिक राज्य का तिरस्कार हो सके.
किंतु वर्तमान में हिंदुत्व आंदोलन की जो बयानबाजी चल रही है उससे कट्टरता की गूंज सुनाई देती है जिस को खारिज करने के लिए ही नए भारत का निर्माण हुआ था.
शशि थरूर ने ‘हिंदुत्व’ को 1947 की मुस्लिम सांप्रदायिकता का ‘प्रतिबिंब’ करार देते हुए कहा कि इसकी सफलता का मतलब यह होगा कि भारतीय अवधारणा का अंत हो गया।इस बात पर भी जोर दिया कि ‘हिंदुत्व’ कोई धार्मिक नहीं, बल्कि ‘राजनीतिक सिद्धांत’ है। #TheBattleOfBelonging https://t.co/HCSbHMAtft
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इस कांग्रेस नेता ने हिंदुत्व के अलावा अपनी पुस्तक में नागरिकता कानून (CAA) की भी आलोचना किया. इस संबंध में उनका कहना है कि यह भारतीयता के बुनियादी पहलुओं के लिए चुनौती है.
सीएए कानून को लेकर उन्होंने कहा कि यह पहला ऐसा कानून है जो देश की उस बुनियाद पर सवाल करता है कि धर्म हमारे पड़ोस और हमारी नागरिकता को तय करने का पैमाना नहीं हो सकता है.
THE BATTLE OF BELONGING: पुस्तक की खासियत
शशि थरूर की यह पुस्तक भारत की विविधतावादी संस्कृति की मूल पहचान तथा आजादी से पहले यहां रह रहे विभिन्न समुदायों के बीच जो एकता और मधुर संबंध थे, उनको उद्घाटित करती है.
इसके साथ साथ आजादी की बेला पर हमारे संविधान मैं उसके नागरिकों के साथ जो वादे किए गए थे उसकी सटीक संवैधानिक झलक दिखाई देती है.