नोबेल शांति पुरस्कार विजेता, इथोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद का निरंकुश चेहरा आया सामने

मिली जानकारी के अनुसार इस समय इथोपिया भयानक गृह युद्ध की चपेट में है जिसमें हजारों लोग मारे जा चुके हैं और लगभग 40,000 लोग अपने देश को छोड़कर पड़ोसी देश सूडान में शरणार्थी के तौर पर रहने के लिए मजबूर है.

इथोपिया के इतिहास में अब तक के सबसे कम उम्र के प्रधानमंत्री 44 वर्षीय अबी अहमद अली को वर्ष 2019 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था.

उन्हें इस पुरस्कार को सम्मानित करने की वजह उनके द्वारा किया गया शांति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के लिए लगातार किए गए प्रयास थे.

इन्होंने वर्षों से चले आ रहे इथोपिया-इंरिटीरिया सीमा विवाद को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया था. यहां तक कि इन्होंने राजनीतिक और सामाजिक जीवन में महिलाओं को आगे बढ़ाने के लिए भी खूब मेहनत किया.

इसके अतिरिक्त केन्या के सोमालिया के साथ रिश्ते और सूडान तथा दक्षिणी सूडान के आपसी रिश्ते सुधारने में भी इनकी पहल सराहनीय थी. किंतु जानकारों का कहना है कि नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद से ही अबी अहमद के रवैया में बदलाव आने लगा था.

क्या कारण है इस गृह युद्ध के?

दरअसल इथोपिया पर तिग्रे पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने लगभग 27 वर्षों तक राज किया और उनके शासनकाल में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और मानव अधिकार की घटनाएं घटी.

ऐसे में सरकार विरोधियों ने टीपीएलएफ पर मानवाधिकार हनन के कई आरोप लगाए जिसका फायदा उठाते हुए अबी अहमद ने अपनी सरकार बनाई.

अहमद का कहना है कि सरकार विरोधियों को यातना दिए जाने के आरोप भी बड़े पैमाने पर लगे थे, इसी कारण‌ टीपीएलफ बदनाम हुई और सत्ता से बाहर हो गई.

ऐसे में टीपीएलएफ अब इसी हथकंडे का फायदा उठाकर अशांति फैला रही है और पुनः सत्ता में आने के लिए प्रयास कर रही है.

 

 

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