संघ के आंगन में नाच रहा है सुप्रीम कोर्ट: वरिष्ठ पत्रकार करन थापर

वरिष्ठ पत्रकार करन थापर और इतिहासकार राम चन्द्र गुहा की सुप्रीम कोर्ट पर की गई बेहद सटीक टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट की अवमानना मामले में कुछ महीनों पहले सीनियर वकील प्रशांत भूषण को दोषी ठहराया गया था न्याय- पालिका के प्रति कथित रूप से दो अपमानजनक ट्वीट करने को लेकर

अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ स्वत: शुरू की गई थी अवमानना कार्यवाही में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था. न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने इस मामले में अधिवक्ता प्रशांत भूषण को दोषी करार दिया.

अब स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की बारी है, उसने भी तथाकथित रुप से सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की है, उसे भी सज़ा सुनाई जाएगी.

सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले पर सबसे सटीक टिप्पणी वरिष्ठ पत्रकार करन थापर ने की है. उन्होंने लिखा- “सुप्रीम कोर्ट न्याय स्थापित करने के लिए बनाया गया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट 2014 से ही संघ के आंगन में नाच रहा है.”

इंडियन एक्सप्रेस में लिखे अपने लेख में इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने विस्तार से बताया है कि कैसे सुप्रीमकोर्ट सत्ता न्याय एवं लोकतंत्र के रक्षक की जगह सत्ता के उपकरण के रूप में काम कर रहा है.

★ ये वही सुप्रीम कोर्ट है जो सीबीआई जज लोया की हत्या की जांच नही होने देता?

★ ये वही सुप्रीम कोर्ट है जो राफाल सौदे की जांच नही होने देता?

★ ये वही सुप्रीम कोर्ट है जो कोरोना काल मे सड़क पर मजदुर मर रहे होते है उनके मामले को नही सुनता?

★ ये वही सुप्रीम कोर्ट है ईवीएम मशीन के बारे में सुनवाई नही करता?

★ ये वही सुप्रीम कोर्ट है जहाँ से भाजपा सांसद विजय माल्या के घोटालों की फ़ाइल खो जाती है?

★ यह वही सुप्रीमकोर्ट है जो निरंतर आरक्षण विरोधी फैसले दे रहा है, आर्थिक आधार पर सर्वणों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण उसे संविधान विरोधी नहीं दिखता जबकि ओबीसी के आरक्षण (मंडल आयोग) को 2 सालों तक रोके रखा

★यह वही सुप्रीम कोर्ट है जो कहता है कि अगर किसी दलित को चार दीवारी के अंदर गाली-गलौज करते हैं तो उसका अपमान नहीं होता है और एससी-एसटी एक्ट लागू नहीं होता

★ यह वही सुप्रीमकोर्ट है जिसने बिना किसी सबूत के संघ के आंगन में नाचते हुए बाबरी मस्जिद को रामजन्मभूमि घोषित कर दिया लेकिन एक तरफ कहता है कि वहाँ मन्दिर था फिर वहाँ मस्जिद बनाने का भी आदेश दे दिया

★ यह वही सुप्रीकोर्ट है जो कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाया जाना वैधानिक है या नहीं उस पर 1 वर्ष से कुंडली मारे बैठा है

★ यह वही सुप्रीकोर्ट है जिसे कश्मीर में और वर्षों से लोगों को हिरासत में रखने मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ याचिकाओं को सुनने का वक्त नहीं है

★ करीब हर मामले में सुप्रीम कोर्ट संघ-भाजपा (सत्ता) के आंगन में नाच रहा है

यह देश की सबसे बड़ी अलोकतांत्रिक संस्था है, जिसमें बिना किसी चुनाव या परीक्षा के जज नियुक्त होते हैं और ज्यादात्तर एक कुछ परिवारों और कुछ जातियों से नियुक्त होते हैं

यह मट्टीभर उच्च जातीय मर्दों की कुलीनतंत्रीय मनुवादी-ब्राह्मणवादी संस्था है, जो अब खुलकर संघ के आंगन में नाच रही है. यह संस्था अब असहमति की आवाजों को कुचलने में पूरी तरह संघ-भाजपा के साथ खड़ी है

अभी-अभी हमने देखा है कि कैसे सरकार के पालतू कुत्ते रिपब्लिक चैनल के मालिक अर्नब गोस्वामी को केवल सात दिनों के भीतर सुप्रीम कोर्ट से बेल मिल गई.

आम आदमी को सालों बाद भी सुनवाई नहीं मिलती है और लोग कोर्ट के चक्कर काटते रहते हैं लेकिन संघियो के लिए सुप्रीम कोर्ट से सारी मर्यादाएं और लाज़ लज्जा ताक पर रख रखीं हैं.

प्रशांत भूषण को दोषी ठहराना कुणाल कामरा को कठघरे में खड़ा करना संघ-भाजपा के आंगन में उसके नाचने का एक और सबूत भर है.

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