एक सशक्त जागरूकता फैलाने के रूप में लोगों की आवाज बनने वाले मंच रिहाई ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा धर्म परिवर्तन के खिलाफ पारित अध्यादेश 2020 लाने को संविधान विरोधी बताते हुए इसकी कड़ी आलोचना किया है.
‘रिहाई मंच’ के महासचिव राजीव यादव ने बताया है कि यह अध्यादेश संविधान द्वारा प्रदत अनुच्छेद 25 में धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन करता है.
उन्होंने आरोप लगाया कि संविधान में स्पष्ट बताया गया है कि सरकार का कोई धर्म नहीं होना चाहिए और वह किसी विशेष धर्म को प्रोत्साहित भी नहीं कर सकती.
लव जिहाद के नाम पर योगी का राम नाम सत्य कर देने वाला बयान साम्प्रदायिक हिंसा को बढ़ावा देने वाला : रिहाई मंच@janjwar@ajayprakashm@RihaiManchhttps://t.co/dxXpGElBQj
— Rajeev Yadav (@RajeevKisanNeta) November 3, 2020
किंतु आज स्थिति यह हो गई है कि संविधान की शपथ लेकर सत्ता में बैठे राजनेता खुद ही संविधान का माहौल उड़ा रहा है. हाथरस बलात्कार घटना के बाद सरकारी मशीनरी द्वारा इंसाफ के रास्ते में रोड़ा अटकाने से
बाल्मीकि समाज के लोगों द्वारा बौद्ध धर्म अपना लेने के बाद से ही इन को परेशान किया जा रहा था. इस अध्यादेश के माध्यम से इस तरह के धर्मांतरण पर रोक लगाने का प्रयास किया गया है.
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए राजीव यादव ने अध्यादेश पर सवाल उठाते हुए कहा है कि अध्यादेश में जहां धर्म परिवर्तन कराने वाले के लिए 5 साल की सजा और ₹15000 जुर्माने का प्रावधान किया गया है.
वहीं अनुसूचित जाति जनजाति के लोगों का धर्म परिवर्तन कराने वालों को 10 साल की सजा और ₹25000 जुर्माना लगाने का क्या और औचित्य हो सकता है.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने अपने चुनाव अभियान में लगातार लव जिहाद का मुद्दा उठाकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश करते रहे हैं.
India's most populous state, Uttar Pradesh, has passed a law, based on the anti-Muslim "love jihad" conspiracy theory, targeting interfaith marriages between Muslim men and Hindu women https://t.co/uyIvAAwim3
— Shajahan (@shajahanpm) December 1, 2020
बनाए गए कानून में सजाओ को लेकर भेदभाव पूर्ण रवैया अपनाने की सीधी तस्वीर दिखाई दे रहे हैं जो स्पष्ट करता है कि इस अध्यादेश का वास्तविक उद्देश्य समाज के दलित और वंचित वर्ग
जो असमानता और भेदभाव पूर्ण रवैया के कारण हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध ध्यान धारण करने के लिए बाध्य हो रहे हैं वह ना हो. इसी प्रकार प्रावधान में यह भी बताया गया है कि धर्मांतरण से पहले
प्रशासनिक अधिकारियों को सूचित करने, उनको संतुष्ट होने और उनसे धर्मांतरण की अनुमति मिलने की शर्त भी मौलिक अधिकारों के खिलाफ ही है.
गैर जमानती अपराध की सूची में लव जिहाद को रखने के कारण तथा अभियोजन के बजाय खुद को निर्दोष साबित करने की जिम्मेदारी आरोपी पर डाली गई है जो क्रूर और गैर संवैधानिक कहा जा सकता है.