BY-THE FIRE TEAM
मंगलवार यानी 28 अगस्त को देश के अलग-अलग भागों से भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किए गए सभी वामपंथी विचारधारा के लोगों को आज उच्चतम न्यायालय से थोड़ी राहत मिली।
सुप्रीम कोर्ट ने भीमराव कोरेगांव मामले में की गई इन पांचों गिरफ्तारियों पर बड़ा आदेश देते हुए कहा कि गिरफ्तार किए गए पांचों लोगों को अगली सुनवाई तक नजर बंद रखा।
यह आदेश पुणे पुलिस के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। क्योंकि कोर्ट ने इन लोगों को रिमांड पर लेने के लिए साफ मना कर दिया।
कोर्ट के अनुसार इस केस के सिलसिले में अगली सुनवाई गुरुवार को होगी इसके साथ ही कोर्ट ने मंगलवार तक महाराष्ट्र सरकार को इस सिलसिले में जवाब देने को भी कहा है।
आपको बताते चलें कि माओवादियों से कनेक्शन के मामले में मंगलवार को देश के 5 राज्यों में विभिन्न जगहों पर पुणे पुलिस ने छापेमारी की थी।
इस दौरान पुलिस ने वामपंथी विचारकों व सामाजिक और मानवाधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया। इन पांच लोगों में वरवरा-राव, अरूण पेरेरा, गौतम नवलखा, वेरनोन गोंजाल्विस और सुधा भारद्वाज के नाम शामिल हैं। इन सभी को देश के अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया था।
आपको बताते चलें कि इन गिरफ्तारियों से देश में सामाजिक कार्यकर्ताओं के अंदर सरकार के प्रति आक्रोश फैल गया और उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों में आंदोलन भी किया। इन आंदोलनकारियों ने सरकार पर यह आरोप लगाया कि मौजूदा समय में जो भी सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है यह उन्हें दबाने की कोशिश कर रही है।
इन गिरफ्तारियों के सिलसिले में मानवाधिकार आयोग ने महाराष्ट्र सरकार को एक नोटिस भी दिया है। आयोग ने कहा है कि, “प्रतीत होता है कि 5 कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी में नियमों का ठीक तरीके से पालन नहीं किया गया है।”
इन गिरफ्तारियों के सिलसिले में पुणे पुलिस ने यह भी दावा किया कि गिरफ्तार किए गए लोगों के कश्मीरी अलगाववादियों से संबंध थे।
(समाचार एजेंसी भाषा से इनपुट के साथ)