केंद्र सरकार के द्वारा पारित किए गए किसानों से जुड़े तीन विधेयकों के खिलाफ किसानों का बढ़ता आक्रोश और आंदोलन के आज 7 दिन पूरे हो चुके हैं.
सरकार और किसानों के बीच विरोध प्रदर्शन को समाप्त करने के लिए वार्ता भी हुई किंतु वह बेनतीजा रही है. मिली जानकारी के अनुसार सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ते-लड़ते किसानों का सामना अब सीधे कारपोरेट से हो गया है.
— राममेहर घिराय हिसार लोकसभा कांग्रेस (@RammeharGhirai) December 4, 2020
किसानों को भी यह बात समझ में आने लगी है कि केंद्र सरकार कारपोरेट के हितों और उसके दबाव में काम कर रही है, ऐसे में किसानों के समूह ने फैसला किया है कि 5 दिसंबर को देशभर में अडानी, अंबानी और नरेंद्र मोदी सरकार का पुतला फूंका जाएगा.
किसान नेता गुरनाम सिंह ने लोगों से अपील किया है कि जो दिल्ली नहीं पहुंच सकते उन्हें अपने गांव और शहरों में ही नरेंद्र मोदी, अडानी और अंबानी का पुतला बनाकर मोहल्ले और गलियों में जलाएं,
ताकि सरकार और कारपोरेट के खिलाफ किसानों के आंदोलन को समर्थन मिल सके. किसान आंदोलन को धार देने के लिए अखिल भारतीय भारतीय किसान महासभा के महासचिव राजाराम सिंह ने बताया है कि-
“हमारा संगठन मजबूती से इस आंदोलन में उतरा है, गांव-गांव में कृषि कानूनों की प्रतियां जलाई जा रहे हैं तथा देश के अलग-अलग हिस्सों से किसानों का एक बड़ा हुजूम किसानों के पक्ष में खड़ा होता जा रहा है.”
भाकपा माले की केंद्रीय कमेटी ने कहा है कि यदि किसानों की मांगें पूरी नहीं हुई तो सरकार के विरुद्ध अनिश्चितकालीन सत्याग्रह और चक्का जाम किया जाएगा.