देश में करोड़ों गरीबों व उपेक्षित में भी खासकर दलित और अन्य पशुओं के जीवन में नई उम्मीद संभावनाएं और आत्मसम्मान की अलख जगाने वाले बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर कि आज महापरिनिर्वाण जयंती है.
भीमराव अंबेडकर जी का जन्म पिता रामजी मलोजी सकपाल तथा माता भीमाबाई के घर महू नामक स्थान पर 1891 में 14 अप्रैल के दिन हुआ था.
बचपन से ही यह अद्भुत प्रतिभा के धनी थे जिन्होंने अपने तर्कों तथा दूरदर्शी सोच के बिना पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. इन्होंने अपनी बाल्यावस्था में छुआछूत, भेदभाव, लोगों में असमानता आदि का जो अंतर और दंश देखा और झेला उससे शायद ही कोई सामान्य बालमन टूटने से बच पाता.
भारतीय संविधान के निर्माता एवं वास्तुकार, ओजस्वी लेखक, भेदभाव, हीनता और अन्याय के खिलाफ लड़ने वाले यसस्वी नेता, सर्वप्रिय ,भारत रत्न श्री डॉ. भीमराव अंबेडकर जी पुण्यतिथि पर उन्हें शत् शत् नमन एवं श्रद्धांजलि।#बाबासाहेब_आंबेडकर #ambedkarjayanti pic.twitter.com/96NAHa1P9e
— Praful K Patel (@prafulkpatel) December 6, 2020
किंतु उन्होंने इन सब की परवाह किए बिना अपने जीवन में यह दृण प्रतिज्ञा किया कि जब तक वह समाज से इन सामाजिक कुरीतियों और रूढ़ियों को मिटा नहीं देंगे तब तक दम नहीं लेंगे.
अपने इसी संकल्प और तपस्या को पूर्ण करने के लिए बाबासाहेब ने कोलंबिया विश्वविद्यालय से डी लिट की मानद उपाधि प्राप्त करने के पश्चात सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, शैक्षणिक, धार्मिक, साहित्यिक आदि अनेक क्षेत्रों में राष्ट्र निर्माण के लिए सशक्त प्रयास किया.
बेजुबान, शोषित और अशिक्षित लोगों को जगाने के लिए 1927 से 1956 के दौरान मूकनायक बहिष्कृत भारत और प्रबुद्ध भारत नामक पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया.
1945 में पीपल एजुकेशन सोसाइटी के द्वारा मुंबई में सिद्धार्थ महाविद्यालय तथा औरंगाबाद मिलिंद महाविद्यालय की स्थापना किया.
ब्राह्मण धर्म की ऊंच-नीच रखने वाली भावना से त्रस्त होकर समाज के एक बड़े जन समुदाय को एकता और समानता का पाठ पढ़ाने के उद्देश्य से बाबासाहेब ने 14 अक्टूबर 1956 को
500000 लोगों के साथ नागपुर में बौद्ध धर्म की दीक्षा लिया तथा इस धर्म को पुनर्स्थापित करने के लिए अपने अंतिम ग्रंथ द बुद्ध एंड हिज धम्मा के द्वारा आने वाली पीढ़ियों का मार्ग प्रशस्त किया.
जातिभेद को मिटाने के लिए भारतीय समाज को धर्म ग्रंथों में व्याप्त मिथ्या, अंधविश्वास, अंधश्रद्धा से मुक्ति दिलाने के लिए लोगों के बड़े जन समुदाय को अपने प्रवचनों के द्वारा जागरूक करने का प्रयास किया.
हिंदू विधेयक संहिता के जरिए इन्होंने महिलाओं को तलाक, संपत्ति में उत्तराधिकार आदि का प्रावधान करके उनके जीवन को एक नई दिशा देने का कार्य किया.
भारत में रिजर्व बैंक आफ इंडिया की स्थापना डॉक्टर अंबेडकर के द्वारा लिखित शोध ग्रंथ रुपए की समस्या, उसका उद्भव तथा उपाय और भारतीय चलन और बैंकिंग का इतिहास आदि साक्ष्य के आधार पर ही 1935 में स्थापना की गई.
कृषि में सहकारी खेती को बढ़ावा देने के लिए, औद्योगिक विकास, जल संचय, सिंचाई, श्रमिक, कृषि की उत्पादकता आय बढ़ाना, सामूहिक तथा सहकारिता से खेती करना,
जमीन के स्वामित्व एवं राष्ट्रीयकरण, सम्पूर्ण प्रभुत्व संपन्न, समाजवादी गणराज्य की स्थापना करना आदि इनके जीवन के मूलभूत उद्देश्य रहे.
देश में व्याप्त समाज में वर्ण व्यवस्था से इनका सीना सदैव छलनी होता रहा समाज से इन कुरीतियों को मिटाने के लिए बाबा साहब ने समता, समानता,
बंधुत्व, मानवता आधारित भारतीय संविधान को 2 वर्ष 11 माह 18 दिन के कठिन परिश्रम से तैयार किया जिसे 26 नवंबर 1949 को आजादी के बाद भारत ने अपना लिया.
देश के समस्त नागरिकों को राष्ट्रीय एकता, अखंडता और व्यक्ति की गरिमा की जीवन पद्धति से भारतीय संस्कृत को अभिभूत करने का जो कार्य डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने किया उसकी जितनी प्रशंसा की जाये वह कम होगा.
एशिया में अगर महात्मा बुद्ध की करुणा लाइट ऑफ एशिया के रूप में की जाती है, यदि भारत में डॉक्टर अंबेडकर की बात करें तो उन्हें लाइट ऑफ वर्ल्ड अगर कहा जाए तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी.
(DR.SAEED ALAM KHAN ये लेखक के निजी विचार हैं)