भीषण ठंड के इस मौसम में पिछले 2 सप्ताह से अधिक समय तक सिंघु बॉर्डर पर धरना दे रहे किसान संगठनों की मांगों को सरकार के द्वारा जब नहीं सुना गया तो वे अब सर्वोच्च न्यायालय की शरण में पहुंच चुके हैं.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार के द्वारा पारित किए गए कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए किसान संगठनों ने कोर्ट में एक याचिका दायर किया है.
LIVE | The Bhartiya Kisan Union has approached the SC against the three #farmlaws passed by the Parliament, claiming the laws will make #farmers “vulnerable to corporate greed”, reports ANI.
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— The Quint (@TheQuint) December 11, 2020
इस याचिका में भारतीय किसान यूनियन की तरफ से कृषि बिल के जुड़े कानून को रद्द करने की मांग की गई है, याचिका को दाखिल करते हुए अधिवक्ता एपी सिंह ने इन तीनों कानून को असंवैधानिक करार देने की मांग किया है.
इसमें बताया गया है कि यह अधिनियम अवैध तथा मनमाने हैंm इन कानूनों के आने से कृषि उत्पादन के संघबद्ध होने और व्यवसायीकरण का मार्ग प्रशस्त होगा.
इस कानून के कारण किसान अपने ही खेत का बधुआ मजदूर हो जाएगा, वह मल्टीनेशनल कंपनियों तथा कारपोरेट घरानों की दया पर आश्रित हो जाएगा.
Bhartiya Kisan Union Bhanu has filed an Intervention Application before the #SupremeCourt in the plea filed by Tiruchi Siva, Member of Parliament (DMK), challenging the three #FarmActs that have sparked protests across the country
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किसानों ने आंदोलन को उग्र रूप देने की भी चेतावनी दिया है जिसके कारण चारों तरफ पुलिस अलर्ट कर दिया गया है. ऐसी सूचना है कि किसानों ने दिल्ली-जयपुर हाईवे को जाम करने के साथ
रेलवे ट्रैक पर भी प्रदर्शन करने का ऐलान किया है. ऐसे में प्रशासन ने एहतियात बरतते हुए पंचगांव चौक, राजीव चौक, इफको चौक और सिरहोल टोल को चिन्हित करते हुए भारी मात्रा में पुलिस बल तैनात कर दिया है.
किसानों के इन विरोध को देखकर कई राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने भी अपना समर्थन जताया है हालांकि किसानों ने बिना राजनीतिक वादों और झंडे के ही इन जैसे नेताओं के साथ अपना मंच साझा किया है.