देश में बढ़ती बेरोजगारी, लोगों के छीनते रोजगार तथा संविधान बचाओ रैली के लिए आखिर कौन जिम्मेदार?

एक बात नहीं समझ पा रहा हूं कि पहले की सरकार में 1962, 1965, 1972 की भीषण लड़ाई भी हुई, पोलियो, प्लेग, हैजा, टीबी जैसी महामारी भी हुई.

जिनका मुफ्त में इलाज हुआ, मुफ्त में पूरा देश का टीकाकरण हुआ, खरबो का घोटाला भी हुआ, काला धन विदेशों में भेजा गया, भ्रष्टाचार खूब व्याप्त रहा.

फिर भी बहुत सारे सरकारी कारखाने कंपनियां लगीं, सरकारी अस्पताल, सरकारी कॉलेज, सरकारी स्कूल बने, सरकारी नौकरियों में कोई कमी नहीं रही.

लोगों को नौकरियां दी गई, जो व्यक्ति मैट्रिक, इंटर पास कर जाता था उसे घर से बुलाकर नौकरियां दी गई, तनख्वाह में कोई कमी नहीं रही.

Unemployment in India: Why government may need to adopt new approaches - The Financial Express

भत्ता हमेशा लगातार बढ़ता था, महंगाई भत्ता 131% तक दिया, सबसे अधिक वेतन वृद्धि छठे वेतनमान में मिली,सरकारी कर्मचारियों को पेंशन दिया जाता था, देश की जीडीपी 10% से ऊपर थी.

आखिर यह सब गद्दार चोरों की सरकार कैसे कर लेती थी? जो दिव्य महापुरुष की सरकार नहीं कर पा रही है. जबकि विदेशों से काला धन वापस आ गया, नोटबंदी से देश का काला धन वापस आ गया,

Buy New Delhi Protesters hold Save Our Constitution placard during Women March For Change protest rally in New Delhi on April 4 2019 Photo IANS Pictures, Images, Photos By IANS - Others pictures

चोरों की सरकार की बनाई गई सरकारी संपत्ति को भी बेचा जा रहा है, तब भी दिव्य पुरुष की सरकार नौकरियां, वेतन भत्ते, पेंशन नहीं दे कर किसान, मजदूर और आम नागरिको को टेंशन ही दे रही है.

नौकरियां भी खूब जा रही है, सभी NGO से पैसा प्रधानमंत्री रिलीफ़ फ़ंड मे ले जमा करवा लिया, कोई युद्ध भी नहीं हुआ फिर भी जीडीपी माइनस मे चल रही है.

अगर कोई कुछ बोल रहा है तो उसको पाकिस्तानी या देश द्रोही बोला जा रहा है. मेरे ख्याल से युवाओं को तो कम से कम जाग जाना चाहिये जो पढ़े लिखे होने का दम भरते हैं.

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