(डॉ सईद आलम खान ब्यूरो चीफ, गोरखपुर)
28 दिसंबर, 1885 को भारत में भारतीयों की समस्याओं के समाधान के निराकरण के उद्देश्य से ब्रिटिश साम्राज्य के समक्ष देशवासियों की आवाज को ब्रिटिश हुकुमत के समक्ष रखने के लिए सबसे पहले स्थापित होने वाला मंच ‘कॉन्ग्रेस’ था.
इसकी स्थापना अंग्रेज अधिकारी A. O. HUME जो थियोसॉफिकल सोसायटी के प्रमुख सदस्य थे, ने किया था. उस समय इस मंच को स्थापित करने का मूल उद्देश्य अंग्रेजो के द्वारा यह पता लगाना कि भारत में पुनः अट्ठारह सौ सत्तावन जैसी किसी भी क्रांति अथवा आक्रोश को पनपने से रोका जा सके.
Today we honour 135 years of service to our nation & we celebrate every milestone & achievement of our great nation.#CongressFoundationDay pic.twitter.com/97XoXrZipX
— Congress (@INCIndia) December 28, 2020
किंतु कालांतर में इस पार्टी ने भारतीयों की दशा-दिशा को सुधारने तथा राष्ट्रीय आंदोलन को नेतृत्व देने का कार्य किया जिसके दिखाए गए रास्ते पर भारत ब्रिटिश गुलामी से मुक्त हो सका.
जब कांग्रेस का गठन किया गया था तो उस समय उसके मूल में भारत की आजादी प्राप्त करना था. यही वजह है कि यह उद्देश्य पूरा होने के बाद महात्मा गांधी ने कहा कि-” कांग्रेस के गठन का लक्ष्य अब पूरा हो चुका है अतः इसे खत्म कर देना चाहिए किंतु ऐसा हुआ नहीं.”
Equality, Social Justice, Harmony, Brotherhood and Freedom are the ideals that India gained after years of struggle. We, on the 136th #CongressFoundationDay pledge to uphold, protect and preserve these values in the interest of our country and for the well-being of every citizen. pic.twitter.com/c8Avndk1u6
— Congress, Minority Department (@INCMinority) December 28, 2020
1952 में प्रथम आम चुनाव होने के साथ ही यह मंच राजनैतिक सत्ता संभालते हुए सरकार बनाया तथा देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में जवाहरलाल नेहरू ने शपथ ली.
आजादी के बाद से लेकर 2014 तक गठित किए गए 16 आम चुनाव में से कांग्रेस ने 6 में पूर्ण बहुमत हासिल किया जबकि चार बार सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व किया.
कांग्रेस भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में सर्वाधिक समय तक सत्ता में रही, इस पार्टी ने देश को 7-7 प्रधानमंत्री दिए हैं किन्तु यह बड़ा आश्चर्यजनक लगता है कि 16वीं लोकसभा के चुनाव में इतना बड़ा राजनीतिक दल विपक्ष में बैठने तक के लिए पात्रता प्राप्त नहीं कर सका.
आज किसान, मजदूर, युवा वर्ग तथा हाशिए पर चले गए तबकों की आवाज बनने की कोशिश में लगी हुई कांग्रेस एक साथ कई चुनौतियों से जूझ रही है.
जैसे- कांग्रेस को आज अपना जनाधार पुख्ता करने की आवश्यकता है, जनमानस का विश्वास प्राप्त करना अत्यंत आवश्यक है, पार्टी को नए नेतृत्व के रूप में प्रियंका वाड्रा तो मिली हैं.
किंतु उन्हें अपने प्रयास और सशक्त करने पड़ेंगे, प्रियंका के भारतीय राजनीति में आने किस समय यह नारा दिया गया था कि यह प्रियंका नहीं आंधी है, देश की दूसरी इंदिरा गांधी है इसको फलीभूत करने की जरूरत है, वरना सिर्फ यह नारा बन कर रह जाएगा.