(संपादक सच्चिदानंद की कलम से)
गोरखपुर: बिना आग लगे धुआं यूं ही नहीं उठता, जब किसी पर कोई आरोप लगता है तो कुछ न कुछ सच्चाई ज़रूर होती है. मामला सदर तहसील में कार्यरत एक लेखपाल साहब पर लगे आरोप का है.
आरोप ऐसे समय में लगाया गया है जब पिछले दिनों सदर तहसील द्वारा खोवा मंडी में एक मकान को सरकारी जमीन बताकर खाली कराने के बाद एक प्राइवेट व्यक्ति को उसका कब्जा दे दिया गया.
इस मामले ने पूरी तहसील की कार्यप्रणाली को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है. सदर तहसील के जाफरा बाजार, मिर्ज़ापुर व नसीराबाद इलाके की कई वर्षों से
जिम्मेदारी सम्भाल रहे एक लेखपाल पर वक़्फ़ के साथ ही बंजर और नजूल की जमीनों में हेरफेर करने का आरोप लगा और शत्रु संपत्ति तथा निष्क्रान्त सम्पत्तियों के मामले में नोटिस जारी कर लोगों से धन उगाही की शिकायत मिली.
इसके अलावा हिंदू युवा वाहिनी के नेता विवेक सूर्या ने भी आरोप लगाया कि मिर्जापुर मोहल्ले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत लेखपाल राम कुमार गुप्ता ने लोगों से अवैध वसूली की है जिसका वीडियो भी उनके पास मौजूद है.
वहीं खुद को एसडीएम (सदर) गौरव सिंह सोगरवाल का खास कहने वाले इस लेखपाल के बारे में मिली जानकारियों पर विश्वास किया जाए तो उसने लगभग 5 साल के अपने सेवा काल में ही
शहर के पाश इलाके में अपने परिजन के नाम एक मकान की रजिस्ट्री करा ली है जिसके लिए इसी पद पर काम करने वालों को दशकों मेहनत करना पड़ता है.
अब जल्द ही आरोपी को उसके क्षेत्र से हटाकर निष्पक्ष जांच नही की जाती है तो यह माना जायेगा कि सुविधा शुल्क की आमदनी में लेखपाल अकेला नही बल्कि उसके ऊपर और भी हिस्सेदार मौजूद हैं.