प्राप्त सूचना के अनुसार उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने अफसोस जताते हुए कहा कि भारत में बहुलतावादी समाज सदियों से पोषित होता आ रहा है,
किंतु इस समाज में कुछ ऐसे अराजक तत्व हैं जो मुस्लिमों को पराया करार देने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं. उप राष्ट्रपति ने यह बात अपनी पुस्तक बाय मेनी हैप्पी एक्सीडेंट: रिकलेक्शन ऑफ लाइफ’ पर परिचर्चा में कहा.
https://twitter.com/nvpnews/status/1359661055450972160?ref_src=twsrc%5Etfw%7Ctwcamp%5Etweetembed%7Ctwterm%5E1359661055450972160%7Ctwgr%5E%7Ctwcon%5Es1_&ref_url=https%3A%2F%2Fpublish.twitter.com%2F%3Fquery%3Dhttps3A2F2Ftwitter.com2Fnvpnews2Fstatus2F1359661055450972160widget%3DTweet
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उपराष्ट्रपति ने बताया कि-” उनका मुसलमान होना मायने नहीं रखता है बल्कि उनकी पेशेवर योग्यता मायने रखती है.”
क्या मैं नागरिक हूं या नहीं? यदि मैं नागरिक हूं तो मुझे उन सभी चीजों का लाभार्थी होने का हक है जो नागरिकता से मिलती है.
इस मौके पर पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि-” वह और अंसारी दुखी हैं क्योंकि पिछले कुछ सालों के घटनाक्रम उन लोगों के लिए खतरा पैदा कर रहा है जो मुसलमान हैं.”
चिदंबरम ने आरोप लगाया कि भारत में मुस्लिम पहचान को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है और वर्तमान शासन शातिर तरीके से यह कार्य कर रहा है.
अंसारी ने बताया कि मुस्लिम पहचान पर बहस तो बिल्कुल फालतू है क्योंकि हर व्यक्ति की कई पहचान है. चार दशक पूर्व पेशेवर राजनयिक के रूप में उनके अनुभव में तो उनके मुसलमान होने की चर्चा नहीं होती है,
क्योंकि जब मैं मुश्किल दौर में संयुक्त राष्ट्र में था तब मेरा मुसलमान होना मायने नहीं रखा. वहां मेरी पेशेवर योग्यता ही काम आई.