कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कृषि कानूनों के संबंध में केंद्र सरकार को घेरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लेकर कहा कि-” देश के किसान मजदूरों के सामने अंग्रेज नहीं टिक पाए तो प्रधानमंत्री मोदी कौन हैं.”
राजस्थान के दो दिवसीय दौरे पर आए राहुल गांधी ने शुक्रवार को राजस्थान का धान का कटोरा कहे जाने वाले गंगानगर तथा हनुमानगढ़ जिलों में 2 किसान महा पंचायतों को संबोधित करते हुए यह बात कही.
कांग्रेस नेता ने नए ‘कृषि कानूनों’ को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री बताते हैं कि- “यह कानून किसानों के लिए लाए हैं. ऐसे में प्रश्न यह है कि यदि वास्तव में यह
किसानों के हित के लिए बनाए गए हैं तो पूरे देश के किसान दुखी क्यों है? दिल्ली की सीमाओं पर लाखों की संख्या में किसान आंदोलन करते हुए धरने पर क्यों बैठा है.?”
वास्तविकता तो यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के साथ सीमा विवाद के संदर्भ में कुछ नहीं कर पाते हैं और सिर्फ अपने देश के किसानों को ही धमकाते रहते हैं और उनके लिए सिर्फ अड़चनें खड़ा करने का कार्य करते हैं.
दरअसल मोदी कृषि कानूनों के जरिए अपने उद्योगपति दोस्तों के लिए रास्ता साफ करना चाहते हैं. कृषि कानून सिर्फ किसानों का नहीं बल्कि गरीबों,
मजदूरों और देश की 40% जनता का मुद्दा है और काम देश इनके पक्ष में खड़ी रह कर इन काले कानूनों को रद्द कराने का प्रयास करती रहेगी.
कृषि कानूनों की खामियों को गिनाते हुए राहुल गांधी ने बताया कि- पहला कानून मंडियों को मारने और खत्म करने का है जबकि दूसरा कानून अनिवार्य वस्तु अधिनियम को समाप्त करके जमाखोरी को बढ़ावा देना मूल उद्देश्य है.
वहीं कृषि कानून के अंतर्गत तीसरा पहलू यह है कि वह किसान के हाथों से न्याय छीनने का कार्य करेगा. कृषि कानून देश की 40% आबादी पर आक्रमण है.
इस कानून का सिर्फ और सिर्फ देश के 2-3 उद्योगपतियों के हित में ही कारगर होगा. यदि यह तीनों कानून लागू हो गए तो किसान तो गया साथ ही उसकी जमीन भी गई.
इसके अतिरिक्त छोटे दुकानदार, व्यापारी और मजदूर भी समाप्त हो जाएंगे और देश के 40 परसेंट लोग प्रत्यक्ष रूप से बेरोजगार हो जाएंगे.
इन कानूनों की तस्वीर को देखें तो सच्चाई यह है कि इसे न तो किसानों, न तो मजदूरों और न ही छोटे दुकानदारों के लिए बनाया गया है.