BY–RAJEEV YADAV
जौनपुर 01 सितम्बर 2018
संविधान, सामाजिक न्याय, समानता, और बंधुत्व के लिए निकली यूपी यात्रा का जौनपुर पंहुचने पर अम्बेडकर चौराहे पर तमाम जनसंगठनों के द्वारा स्वागत किया गया। इसके बाद अम्बेडकर लीगल रिसोर्स सेंटर में दलित उत्पीड़न पर प्रेस वार्ता की गयी।
प्रेस वार्ता में भारतीय जन सेवा आश्रम के डायरेक्टर दौलत राम, लाल प्रकाश राही, एडवोकेट लालजी चक्रवर्ती, पद्माकर मौर्य, शकील कुरैशी, फारुक, रविश आलम, शाहरुख़, राजीव यादव व गुफरान सिद्दीकी ने साझे तौर पर संबोधित करते हुए कहा कि 2017-18 से लगातार दलितों पर हो रही हिंसा एवं उत्पीड़न की घटनाओं पर बहुत मुश्किल से एफआईआर दर्ज हो रहा है।
संगीन मामलों में भी गिरफ्तारी नहीं हो रही है। पीड़ितों पर उल्टे क्रास एफआईआर दर्ज किया जा रहा है,
उदहारण के लिए 10 मई 2018 की घटना को अगर हम देखें तो उसमें सामंती तत्वों ने गैरी खुर्द थाना बक्शा के मजदूरी करने वाले दलित युवक अभिषेक उर्फ़ करन की चाकू मार कर हत्या कर दी लेकिन नामजद एफआईआर होने के बाद भी पुलिस अभियुक्तों को गिरफ्तार नहीं कर पायी।
न्यायलय में चार्जशीट दाखिल होने के बाद अभियुक्तों ने न्यायलय में आत्मसमर्पण कर जेल की राह पकड़ी।
प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए बताया कि थाना महराजगंज, थाना चंतवक, बदलापुर,सिंगरामऊ आदि थानों की पुलिस पीड़ितों का सहयोग करने के बजाए पीड़ितों का ही उत्पीड़न कर रही है जिस कारण घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों का मनोबल लगातार बढता जा रहा है।
थाना सरायख्वाजा गांव नेवादा इश्वरी सिंह में सांड को खेत से हटाने के विवाद को लेकर दलितों को एक खेत से दूसरे खेत में दौड़ा-दौड़ा मारा पीटा गया और उनके घरों में तोड़-फोड़ की गयी।
यहाँ तक की गाँव में पीएसी तैनात होने के बावजूद भी दलितों के साथ मार-पीट की घटना को अंजाम दिया गया और इलाज के दौरान ही पीड़ितों पर क्रास एफआईआर भी दर्ज कर 20 दिनो से अधिक समय तक उनको जेलों में रहने के लिए मज़बूर किया गया।
अधिकतर घरों से उस समय लोग गिरफ़्तारी के डर से गाँव छोड़ कर सुरक्षित स्थानों पर चले गए थे। नेवादा इश्वरी सिंह में जनसुनवाई के दौरान उक्त घटना में घायल बुज़ुर्ग एवं महिलाओं ने उक्त बातें बताई।
इस पूरी घटना को अंजाम देने वाले अभियुक्तों की गिरफ़्तारी तक नहीं हुई। वर्तमान समय में भी पुलिस प्रशासन पीड़ितों के प्रति निर्दयी रूप से पेश होकर समझौता कराने का प्रयास कर रही है।
जौनपुर में दलित-मुस्लिम उत्पीड़न चरम पर है और सामंती ताकतों के हौसले बढ़े हुए हैं। जिनका संरक्षण मौजूदा सरकार कर रही है।
एक अन्य घटना में थाना बदलापुर में नाबालिग अल्पसंख्यक लड़की के साथ बलात्कार होता है लेकिन बेटी बचाओ का नारा देने वाली सरकार की पुलिस कोई मुकदमा पंजीकृत नहीं करती।
इसके लिए जिले के तमाम सामाजिक संग़ठनों को आगे आना पड़ता है और पीड़िता के न्याय के लिए लामबंद होने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के आदेश पर एफआईआर दर्ज होती है,
इस बीच बलात्कार पीड़िता की हालत दिन-ब-दिन ख़राब होती गयी और उसे बीएचयू मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती करना पड़ा, तमाम संघठनों के सहयोग से इलाज कराया गया लेक़िन पीडिता को बचाया नहीं जा सका।
इस घटना में शामिल अभियुक्तों की गिरफ़्तारी आज तक नहीं हो पाई है। यह जौनपुर के जिला प्रशासन की उदासीनता है जिसने अपराधियों के हौसले बुलंद कर रखे हैं और यहाँ आये दिन इस तरह की घटनाएँ होना आम बात हो गयी है।