(अब्बास अली ब्यूरो चीफ, कुशीनगर की रिपोर्ट)
उत्तर प्रदेश के कानपुर में देश के न्यायिक इतिहास का एक अनोखा मामला आया. इस प्रकरण में पीड़ित और आरोपी दोनों ही विदेशी थे. कोर्ट ने 54 दिनों की सुनवाई के बाद 2 रोहिंग्या मुसलमानों को सजा सुनाई.
दोनों बांग्लादेश से बरगला कर युवती लाए थे और उसका सौदा भी तय कर दिया था. 23 अगस्त, 2019 को कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर जीआरपी ने ट्रेन से 2 बांग्लादेशी युवकों को गिरफ्तार किया.
उनके साथ एक बांग्लादेशी युवती भी थी. दोनों युवती को नदी के रास्ते पश्चिम बंगाल लेकर आए थे और उसे बेचने दिल्ली ले जा रहे थे. पकड़े गए दोनों युवकों अयाज और रज्जाक के पास से पुलिस को 8 मोबाइल और सिम कार्ड मिले थे.
इनके पास से भारतीय और बांग्लादेशी करेंसी भी बरामद हुई, अयाज म्यांमार का रहना वाला है जो बांग्लादेश के एक शरणार्थी शिविर में रहता था.
वह वहां रहने वाली एक युवती जिसकी मामी भारत में रहती है, उससे मिलवाने के बहाने उसे नाव से पश्चिम बंगाल लाया. अयाज और रज्जाक उसे पश्चिम बंगाल से सियालदाह अमृतसर ट्रेन से दिल्ली ले जा रहे थे.
रास्ते में अयाज और रज्जाक की बातचीत से युवती को शक हो गया. उसने ट्रेन में जीआरपी के सिपाही से मदद मांगी. सिपाही बंगाली भाषा नहीं जानता था, फिर भी उसने युवती की मदद की.
वह ट्रेन के कोच से एक बंग्ला भाषा के जानकार को ढूंढकर लाया. युवती की कहानी को समझकर उसने कानपुर सेंट्रल जीआरपी को संपर्क किया.
सेंट्रल स्टेशन पर जीआऱपी ने अयाज और रज्जाक को धर दबोचा और मामला दर्ज कर लिया. इसके बाद पीड़ित युवती को राजकीय बालिका शरणालय भेज दिया गया.
कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल होने के बाद 54 दिनों में 12 तारीखों के बाद एडीजे-07 कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया. धारा-366बी में 10-10 साल की सजा सुनाई गई और 8-8 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया गया है.
अर्थदंड का भुगतान नही करने पर 3-3 महीने अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी. वहीं अन्य धाराओं में भी दोनों को सजा सुनायी गई है.
जिला सहायक शासकीय अधिवक्ता विवेक शुक्ल ने बताया कि मामले में पीड़िता सहित 8 लोगों ने गवाही दी है. दोनों मुल्जिमों के खिलाफ अपने बयान दिए. एडीजे-07 अभिषेक उपाध्याय की कोर्ट ने दोनों को सजा सुनाई.