महान शिक्षाविद, स्वतंत्रता सेनानी, मुस्लिम समाज के रहबर सर सैयद अहमद खान के 123वें स्मृतिदिवस पर सादर नमन

17 अक्टूबर, 1817 को जन्में सर सैयद अहमद खान ने मुस्लिम समाज को सकारात्मक दिशा देने तथा उन्हें आधुनिक शिक्षा से अवगत कराने का जो अथक प्रयास किया,

आज उसी का परिणाम है कि मुस्लिमों में व्यापक स्तर पर जागरूकता पनपी और फैली है. दरअसल सर सैयद अहमद खान का मुस्लिम समाज को पढ़ाई के जरिए बदलने पर फोकस था.

यही वजह है कि उन्होंने मुस्लिमों के लिए आधुनिक शिक्षा की शुरुआत की. उन्होंने 1859 में मुरादाबाद में ‘गुलशन स्कूल’ खोला, 1863 में गाजीपुर में ‘विक्टोरिया स्कूल’ तथा 1867 में ‘मुस्लिम एंग्लो ओरियंटल स्कूल’ की स्थापना किया.

उसी दौरान वे इंग्लैंड गये और वहां की एजुकेशन से बड़े प्रभावित हुए तथा लौटने के बाद अपने स्कूलों को भी वैसा ही बनाने की कोशिश करने लगे.

यह स्कूल 1875 में कॉलेज बना और उनकी मृत्यु के बाद 1920 में यही कॉलेज ‘अलीगढ़ मुस्लिम विश्व विद्यालय’ बना, जो भारत के प्रमुख केन्द्रीय विश्व विद्यालयों में से एक है.

यह आवासीय शैक्षणिक संस्थान है जिसे 1921 में एक अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय विश्व विद्यालय का दर्जा दिया गया. इसे ‘कैम्ब्रिज’ की तर्ज पर ब्रिटिश राज के समय बनाया गया जो उच्च शिक्षण संस्थान के रूप में विकसित हुआ.

Sir Syed's vision of democratic education | Cafe Dissensus Everyday

समाज और देश को वैज्ञानिक सोच देते-देते यह महान शिक्षाविद आज ही के दिन 27 मार्च, 1898 को हमेशा के लिए इस दुनिया को छोड़कर चिर निद्रा में सो गया.

उनके सम्मान में भारत सरकार ने 27 मार्च, 1998 को 200 पैसे का डाक टिकट जारी किया. ऐसे भारतीय शिक्षक और नेता को उनकी 123 वें स्मृतिदिन पर सादर नमन.

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