प्राप्त जानकारी के मुताबिक जाने-माने शास्त्रीय संगीत का रमा गुंडेचा पर एक महिला ने यौन शोषण का आरोप लगाया है. महिला के मुताबिक जब वह मध्य प्रदेश में स्थित
संगीत विद्यालय ध्रुपद संस्थान में संगीत की शिक्षा लेने के लिए रामाकांत गुंडेचा के यहां गई थी तो इसके साथ रमाकांत ने दुष्कर्म जैसे कृत्य को अंजाम दिया.
वर्तमान समय में गुंडेचा का निधन हो चुका है किंतु उनके दो भाइयों उमाकांत और अखिलेश पर भी उनके संगीत विद्यालय की कई छात्राओं ने यौन शोषण के गंभीर आरोप लगाए हैं, यद्यपि रमाकांत और अखिलेश ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है.
आपको यह बता दें कि रामाकांत गुंडेचा ध्रुपद संगीत की दुनिया में एक बड़ा नाम है जबकि आज के समय में उनके भाई उमाकांत का भी काफ़ी दखल है, वहीं अखिलेश वाद्य यंत्र बजाने में माहिर हैं.
ध्रुपद, भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्राचीन विधाओं में से एक है, इन भाइयों ने ध्रुपद संस्थान की नीवं इस मजबूती के साथ रखा कि उसके प्रसिद्धि के कारण देश-विदेश से कई छात्रों को संगीत की शिक्षा के लिए अपनी ओर आकर्षित कर लिया.
यह संस्थान यूनेस्को की सांस्कृतिक विरासत समिति से भी मान्यता प्राप्त करने का दावा करता है किंतु यूनेस्को ने इस स्कूल से अपना कोई संबंध नहीं बताया है.
गुंडेचा भाइयों पर लगे इस तरह के आरोपों से शास्त्रीय संगीत की दुनिया को एक बड़ा झटका लगा है. इसके अतिरिक्त दीर्घ काल से चले आ रहे गुरु-शिष्य परंपरा पर भी प्रश्नचिन्ह लगा दिया है,
क्योंकि ऐसा माना जाता है कि अनौपचारिक रूप से गुरु-शिष्य के सामने पूर्ण रूप से समर्पित होता है. ऐसी भी जानकारी प्राप्त हुई है कि अब तक 5 महिलाओं ने ध्रुपद संस्थान के कैंपस में उनके साथ हुए शोषण का जिक्र किया है.
अगर कोई लड़की इसकी शिकायत भी करती तो उसे क्लास में सार्वजनिक तौर पर बेइज्जत करने का काम ही किया जाता था. प्राइमरी स्कूल की शिक्षिका रेचल फेयरबैंक्स जो इस वक्त अमेरिका के सिएटल शहर में रहती हैं,
उनका कहना है कि पहली बार उनके साथ मार्च 2017 में यौन शोषण किया गया था क्योंकि कैंपस का ही एक ड्राइवर उनका सामान कमरे पर पहुंचाने आया तो उसने रेचल को घेर लिया था.
रेचल ने अपनी बात बताते हुए कहा कि जब इसकी शिकायत उसने रमाकांत से किया तो वह मदद करने के बजाये खुद ही शोषण शुरू कर दिया.
इन आरोपों के लगने के बाद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की दुनिया को #ME TOO ने झकझोर कर रख दिया है. 79 वर्षीय गायिका नीला भागवत बताती हैं कि-
“गुरु पूरी तरीके से समर्पण चाहते हैं, माना जाता है कि शिष्य पूरी तरह अधीन होता है, यदि शिष्य पुरुष है तो यह समर्पण कम होता है किंतु अगर शिष्य महिला है तो यह समर्पण और ज्यादा हो जाता है.”
मुझे लगता है कि महिला शिष्यों को कमजोर परिस्थिति में डाल देता है. यही वजह है कि शास्त्रीय संगीतकार पीएम कृष्णा कहते हैं कि गुरु-शिष्य परंपरा को खत्म हो जानी चाहिए.
शास्त्रीय संगीत गायिका शुभरा मुद्गल का कहना है कि-” क्या इस मामले के बाद ऐसे संस्थानों से संपर्क करके यह पता लगाया गया कि क्या उनके कैंपस में इंटरनल कंप्लायंस कमेटी है.”