कोविड पर ‘तबलिगी जमात’ तो कोसने वाली गोदी मीडिया आज कुंभ स्नान पर चुप क्यों है?

आज देश में लगातार कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ने को लेकर खुद हर बात पर तंज कसने वाले गोदी मीडिया क्यों खामोश है? यह विश्लेषण का विषय बन चुका है.

शायद आपको याद हो कि देश की राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में निजामुद्दीन औलिया की दरगाह स्थित तबलीगी जमात के मरकज में एक धार्मिक आयोजन के दौरान लगभग 3000 लोग इकट्ठे हुए थे, विदेशी नागरिक भी शामिल थे जिन्हें भारत सरकार ने दे रखा था.

Dr.Meraj Hussain on Twitter: "Godi Media and IT cell will prove that Corona  Virus was spread from Nizamuddin and not from China. #मीडिया_वायरस… "

कोरोनावायरस को फैलाने का दोष मढ़कर मुसलमानों पर निशाना साधा गया था. वास्तव में नफरत और घृणा की राजनीति की यह चरम अवस्था थी क्योंकि सरकार की जांच में जिम्मेदार नहीं माना गया.

विचारणीय प्रश्न यह है कि आज उत्तराखंड में जहां भाजपा की सरकार है, महाकुंभ चल रहा है और लाखों की संख्या में साधु-संत और अन्य लोग शामिल हो रहे हैं.

हद तो तब हो गई है कि कई साधु-संत कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, खुद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि तथा जूनागढ़ अखाड़े के प्रमुख नितिन गिरी भी इसमें शामिल हैं,

बावजूद इसके तबलीगी जमात को पानी पी पीकर कोसने वाली गोदी मीडिया आज कहीं भी नहीं दिख रही है. ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या भारतीय मीडिया का एकमात्र लक्ष्य अल्पसंख्यकों को ही प्रताड़ित करना है.

इतना ही नहीं कृषि बिल के खिलाफ पंजाब, हरियाणा तथा देश के अलग-अलग राज्यों से शामिल किसान इस विरोध को स्वर दे रहे हैं किंतु सरकार के संरक्षण में पल रही गोदी मीडिया इन्हें खालिस्तानी कहने में तनिक भी देर नहीं लगाते.

कर्नाटक कांग्रेस के नेता श्री वत्स ने अपने ट्विटर पर लिखा है कि- तबलीगी जमात को मीडिया ने तो कोरोना का सिंगल सोर्स’ कहा था जबकि इसमें कुल ढाई हजार लोग ही शामिल थे और मामले भी 1000 के थे.

क्या महाकुंभ में पॉजिटिव हुए साधू सन्यासियों को गोदी मीडिया कुंभ मेले में लाखों लोग सम्मिलित हुए हैं और कोरोना मामले 1700 के आंकड़े को पार करते जा रहे हैं फिर भी अंधभक्तों और मीडिया ने अपनी चुप्पी साध रखी है.

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