दलितों और वंचितों को सामाजिक अधिकार दिलाने वाले ‘बाबा साहब’ की 130th जयंती पर शत-शत नमन

भारत के अतिरिक्त विश्व में भी ‘बाबासाहेब’ के नाम से लोकप्रिय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की आज 130वीं जयंती है. डॉक्टर अंबेडकर की पहचान भारत के प्रथम विधि एवं न्याय मंत्री,

भारतीय संविधान के जनक तथा भारतीय गणराज्य के कुशल निर्माता थे जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन देश के उत्थान तथा दबी कुचली, शोषित, पीड़ित, समाज में हाशिए पर चले गए वर्ग को दिशा देने के लिए लगा दिया.

आइये देखते हैं बाबासाहेब के कुछ अनमोल विचार जो आज भी पूरी तरह से प्रासंगिक हैं- 1. हिंदू धर्म में विकास के लिए कोई गुंजाइश नहीं है

2. इतिहास बताता है कि जब नैतिकता और अर्थशास्त्र के बीच संघर्ष होता है तो वहां जीत हमेशा अर्थशास्त्र की होती है क्योंकि निहित स्वार्थों को तब तक नहीं छोड़ा गया है

जब तक कि उसे छोड़ने के लिए मजबूत और पर्याप्त बल ना लगाया गया हो

3. समानता की स्थापना का विचार कल्पना हो सकती है फिर भी इसे गवर्नमेंट सिद्धांत के रूप में स्वीकार करना चाहिए

4. जब तक सामाजिक संस्था नहीं हासिल कर ली जाती है तब तक कानून आपको जो भी स्वतंत्र देता है वह सिर्फ बेईमानी है

5. मुझे लगा कि संविधान का दुरुपयोग किया जा रहा है तो सबसे पहले मैं इसे जलाऊंगा

6. यदि आप एकीकृत आधुनिक भारत बनाना चाहते हैं जो सभी धर्मों के शास्त्रों की संप्रभुता का अंत करना होगा

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