एशिया और भारत में प्रथम स्थान पर आने वाले व्यवसायियों के द्वारा सरकार को कैसे चुना लगाया जाता है इसका उत्कृष्ट उदाहरण सरकार के चहेते उद्योगपति गौतम अडानी के द्वारा की गई धोखाधड़ी के द्वारा देखा जा सकता है.
आज केंद्र सरकार आम जनमानस पर सिर्फ मास्क न पहनने के एवज में भारी जुर्माना वसूल कर रही है जबकि उद्योगपति अदानी से बकाया हजारों करोड़ रुपए स्टैंप ड्यूटी वसूल कर पाने में नाकाम रही है.
आपको बता दें कि गौतम अडानी की स्टांप ड्यूटी और वॉटरफ्रंट रॉयल्टी जो लगभग 14 सौ करोड़ रुपए बाकी है, कई वर्षों से सरकार नहीं ले पा रही है.
दरअसल लॉकडाउन के दौरान जब मुंबई सहित कई बंदरगाह बंद थे फिर भी अडानी का मुंद्रा बंदरगाह जो गुजरात के कच्छ क्षेत्र में स्थित है, एक भी दिन बंद नहीं रहा.
अगर देखा जाए तो ‘आपदा में अवसर’ ढूंढने का वक्तव्य जो प्रधानमंत्री मोदी ने दिया था इसे सच करने का कार्य गौतम अडानी ने किया है.
अडानी के संबंध में वर्ष 2017 में गुजरात हाईकोर्ट में दो जनहित याचिकाएं दायर की गईं जिनका नंबर 57/2017 तथा 198/2017 है.
इसमें इस तथ्य का खुलासा हुआ कि वर्ष 2007 से 2017 तक अडाणी ने ना तो स्टैंप ड्यूटी भरा है और ना ही वाटरफ्रंट रॉयल्टी, हालांकि उसने अपने ग्राहकों से इसकी पूरी फीस वसूल की.
किंतु सरकारी खाते में आंशिक धनराशि ही जमा करवाई, याचिकाकर्ता संजय बापट ने बताया है कि यदि सरकार अपने इस बकाया धन को प्राप्त कर लेती तो इससे न केवल
कई अस्पताल बन जाते बल्कि कई हजार वेंटिलेटर और मेडिकल उपकरण भी आसानी से उपलब्ध हो जाते. कोरोना जैसी महामारी में जब हमारे यहां कमजोर
आधारिक संरचना के कारण हजारों लोग अकाल ही मौत के मुंह में समा गए, उनको बचाया जा सकता था. हालांकि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण कहा जा सकता है कि
जिस शिकायतकर्ता ने पूरे प्रकरण को लेकर आरटीआई दाखिल किया था उसी पर एफआईआर दर्ज हो गई. इस बेशर्मी के बाद भी सरकार लोगों को कहती हुई फिरती है कि सब कुछ चंगा सी…