किसी अपने के खो जाने का गम कितना बड़ा होता है इसका उदाहरण अगर देखना है तो शरीफ चाचा के रूप में देखा जा सकता है.
जी हां, जब इनके 28 वर्षीय जवान बेटे मोहम्मद रईस की मृत्यु रास्ते में दुर्घटना की वजह से हो गई और पुलिस में उनके बेटे की लाश को लावारिस समझ कर अंतिम संस्कार कर दिया तो इस हृदयविदारक घटना का इतना गहरा
फ़रवरी में #IndiaTV के लिए #शरीफ़_चाचा से बात की थी, ताकि उनकी कुछ मदद हो सके। बाद में पता चला महापौर, विधायक, सांसद डीएम सब पहुंचे, थोड़ी बहुत मदद भी पहुंची।
भरोसा ज़्यादा मिला…समाज के ज़ख्मों को रफू करने वाला फटेहाल तो हम और हमारी सरकार?
समाज कर्ज़दार है आपका #SharifChacha https://t.co/apWyszZGsG pic.twitter.com/wvPEvWFj1b— Hussain Rizvi हुसैन حسین رضوی (@TheHussainRizvi) June 20, 2021
असर पड़ा कि शरीफ चाचा लावारिस लाशों के वारीस बन बैठे. मिली जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य के अयोध्या में रहने वाले मोहम्मद शरीफ
अब तक 25,000 से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं. हिन्दू और मुस्लिम धर्म से जुड़े जिस भी व्यक्ति का शव हो इन्होंने धार्मिक रीत के मुताबिक अंतिम घाट तक पहुँचाकर विदा किया.
यही वजह है कि इन्हें लावारिस लाशों का मसीहा कहा जाता है. इनके इस महान कृत्य को देखकर सरकार के द्वारा पद्मश्री सम्मान से नवाजे जाने के लिए घोषणा किया गया था.
किन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 1 वर्ष बीत जाने के बाद भी आज तक यह उपेक्षा ही झेल रहे हैं. इसके अलावे ना ही सरकार की तरफ से कोई आर्थिक मदद.
आज शरीफ चाचा बीमार हैं तथा 2 कमरों वाले किराए के घर में बीमार होकर किसी तरह जीवन जी रहे हैं.
कई दिनों से उनका स्वास्थ्य काफी खराब है, उनके पास अस्पताल जाने तक के लिए पैसे नहीं हैं.
हैरानी का विषय यह है कि 85 वर्षीय शरीफ चाचा की सूध न तो सरकार और न तो किसी सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा ही ली जा रही है.