राजनीति में आने का एक ही उद्देश्य-मछुआ एससी आरक्षण और मछुआ समाज का विकास: डॉ संजय निषाद

गोरखपुर: महायोगी मत्स्येंद्रनाथ की तपोभूमि गुरु गोरखनाथ की पावन धरती पर 1 महीने के प्रवास और जनता की सामाजिक राजनीतिक लड़ाई को

निर्णायक स्तर पर पहुंचाने के बाद जब निषाद पार्टी के अध्यक्ष डॉ निषाद गोरखपुर के नौसड़ चौराहे पर पहुंचे तो हजारों की संख्या में समर्थकों ने जोरदार स्वागत किया.

तत्पश्चात संजय निषाद शास्त्री चौक लाल बहादुर शास्त्री टाउन हाल, अंबेडकर के मूर्ति पर माल्यार्पण कर निषाद राज के मंदिर पर पहुंचे.

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उनके साथ हजारों कार्यकर्ता और पदाधिकारी महिला मोर्चा, युवा मोर्चा उपस्थित रहे. निषाद आरक्षण के मुद्दे को माननीय गृहमंत्री भारत सरकार अमित शाह, माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष बीजेपी जेपी नड्डा

और माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के समक्ष रखने और जल्द से जल्द हल करने के वादे के बाद

डॉ निषाद ने कहा- “मंत्रिमंडल विस्तार में हमारी उपस्थिति दूसरी या फिर अंतिम प्राथमिकता हो सकती है. समाज हित के लिए हमें मंत्री पद क्या दुनिया के सभी सूखों का त्याग करना पड़े तो भी करने को तैयार हैं.”

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निषाद पार्टी ने ना कभी मंत्री पद मांगा है ना ही विधानसभा चुनाव में सीटों को लेकर कोई उहापोह है. राजनीति में आने का एक ही उद्देश्य- मछुआ एससी आरक्षण और मछुआ समाज का विकास.

केन्द्र और राज्य में काबिज बीजेपी सरकार मछुआ आरक्षण दे, हम बीजेपी के साथ ही रहेंगे. निषाद पार्टी एससी मछुआ आरक्षण लेने के लिए प्रतिबद्ध है और जब तक आरक्षण मिल नहीं जाता निषाद पार्टी इसकी लड़ाई लड़ती रहेगी.

डॉ निषाद ने यह भी कहा कि बीजेपी और मौजूदा प्रदेश सरकार निषाद आरक्षण विरोधी नही है क्योंकि प्रदेश की सरकार के मुखिया ने बकौल सांसद कई बार निषाद आरक्षण का मुद्दा उठाया है.

ऐसे में जो प्रदेश के अधिकारी हैं ये सरकार को निषाद समाज के कल्याण की गलत रिपोर्ट लगाकर प्रदेश सरकार को गुमराह करने का काम कर रहे हैं.

ये अधिकारी ऊपर से सरकार के साथ हैं परंतु ये काम सपा और बसपा का कर रहे हैं. निषाद पार्टी हमेशा से समाज के हित की बात करती आई है,

समाज हित के लिए ही 2019 में हम भाजपा से जुड़े थे और भाजपा ने कहा था कि सत्ता में आते ही निषादों के आरक्षण के मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा.

परंतु बीजेपी अभी प्राथमिकता तो छोड़िए अंतिम प्राथमिकता भी आरक्षण को नहीं रख रही है जिसके कारण निषाद आरक्षण अटकता जा रहा है.

ऐसे में निषाद समाज में काफी रोष है और निषाद समाज के रोष के चलते ही हाल में हुए पंचायत चुनावों में भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा.

मछुआ समाज ने देश को आजाद करवाने में सबसे बड़ा योगदान दिया था और संविधान में भी मझवार, गौड़, तुरैया, कोली आदि को अनुसूचित जाति के अंतर्गत शामिल किया गया था.

परंतु कांग्रेस की कूनीतियों के चलते 1992 में मछुआ समाज को धोखे से अनुसूचित जाति से बाहर कर दिया गया. बसपा और सपा ने भी निषादों को आरक्षण के नाम पर धोखा देने का काम किया.

मौजूदा स्थिति में बीजेपी भी कांग्रेस के मार्ग पर चल रही है और जिस निषाद समाज ने 2017 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 323 और 2019 में 65 सीटें देने का काम किया, आज वो ही समाज आरक्षण विहिन है.

जबकि कसरवल आंदोलन के समय मौजूदा सीएम और तब के गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ जी ने ही संसद में निषाद आरक्षण के मूद्दे का

समर्थन किया था परंतु अब योगी जी अपने वायदा पूरा करते नहीं दिख रहे हैं. ऐसे में बीजेपी को 2022 में निषादों की उपेक्षा करना भारी पड़ेगा.

निषाद पार्टी की सरकार से गिनी-चुनी मांगे हैं:-

  1. पहली प्राथमिकता मछुआ एससी आरक्षण लागू करवाना साथ ही नदी, ताल, घाट के किनारे बसने वाले वाले मछुआरों पर दर्ज किए सभी मुकदमे वापस हो.
  2. सरकार उन पर लादे सभी मुकदमे वापस ले और इन क्षेत्रों के सभी भ्रष्टाचारी अधिकारियों को निलंबित करे
  3. नदी, ताल, घाट और बालू के पट्टे मछुआरों को आवंटित किए जाए, एक कानून बनाया जाए की नदी, ताल घाट के किनारे की जमीन मछुआरों के लिए आरक्षित की जाए
  4. मंत्रिमंडल और केंद्र या राज्य सरकार में हिस्सेदारी हमारी अंतिम प्राथमिकता है, हमारी संख्या उत्तर प्रदेश में 18 फीसदी है और इतनी बड़ी जनसंख्या का एक प्रतिनिधि सदन में होना चाहिए.

5. भाजपा राज्यसभा भेजने का वादा निभाए और अगर राज्य में डिप्टी सीएम मिल जाता है तो इससे बेहतर क्या होगा

हाल ही में केंद्र के आरजीआई का हवाला देते हुए मछुआ आरक्षण को रद्द कर दिया है परंतु मछुआ आरक्षण आरजीई के अतर्गत आता ही नहीं है.

मौजूदा सरकार में अगर समय रहते आरक्षण नहीं मिलता है और निषाद समाज के हितों में नदी, ताल, घाटों का पट्टा

मछुआ समाज के नाम नहीं करती है तो निषाद पार्टी निषाद समाज के कल्याण और भविष्य के लिए सड़क पर उतरेंगी जिसकी जिम्मेदार मौंजूदा सरकार होगी.

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