लखनऊ: गिरफ्तार किए गए शकील के बड़े भाई इलियास ने कहा कि मेरा भाई निर्दोष है उसे फर्जी तरीक़े से फंसाया जा रहा है. वह सालों से रिक्शा चलाकर अपने परिवार का किसी तरह भरण-पोषण कर रहा था. जब घर से कहीं गया नहीं तो कैसे और कब आतंकवादी हो गया.
इलियास ने बताया कि रोज की तरह आज भी वह सुबह रिक्शा लेकर चला गया. सुबह 9 बजे के करीब किसी साथी रिक्शा वाले ने शकील की पत्नी के मोबाइल पर फ़ोन करके बताया कि शकील को पुलिस ने पकड़ लिया है.
शकील की पत्नी ने मुझे फोन करके बताया, जब मैं घर आकर देखा तो पूरी गली को पुलिस ने घेर रखा था. इलियास ने बताया कि जब पुलिस वालों से हमने पूछा तो उन्होंने हमें डांट दिया.
फिर भी हमने कहा कि साहब ऐसा कुछ नहीं है, आप हमारे घर की तलाशी ले लो. उसके बाद हम घर में ले जाकर खुद एक-एक समान चेक कराए, जिसके बाद एक पुलिस वाले ने खुद कहा कि हमें मालूम है कुछ नहीं है.
आगे इलियास ने बताया कि-“ बाद में जब हम पता करने के लिए वज़ीरगंज थाने गए कि मेरे भाई को कहां ले गये तो एक पुलिस वाले ने कहा मास्क हटाओ. जब हमने मास्क हटाया तो उसने कहा भाग यहां से, तुम ही जैसे लोग आतंकवादी होते हो.”
इलियास ने रिहाई मंच की टीम को रिक्शा की हालत दिखाते हुये सवाल किया कि आप लोग ही बताएं कि अगर मेरा भाई आतंकवादी होता तो उसे घर चलाने के लिये सुबह से शाम तक यह टूटा-फूटा रिक्शा क्यों चलाना पड़ता?
रिहाई मंच अध्यक्ष एडवोकेट मुहम्मद शुऐब ने कहा कि चुनाव के नजदीक आते ही इस तरह की गिरफ्तारियां पहले भी होती रही हैं, जिससे बहुसंख्यक समाज को दहशत जदा करके उनके वोट हासिल किए जा सकें. इसकी उच्च स्तरीय जाँच हो जिससे हकीकत सामने आए.
पुलिस और मीडिया तो खुद जज बनकर फैसला सुनाती रही है जिसके नतीजे में बेगुनाहों को अपनी जिन्दगी के बेशक़ीमती वक्त निर्दोष होते हुये भी जेल की काल कोठरियों में गुजारनी पड़ी. इस तरह के कई मुकदमों को हमने लड़ा है जिसको पुलिस खूंखार आतंकवादी बता रही थी वह अदालत से निर्दोष साबित हुए.
प्रतिनिधि मंडल में रिहाई मंच अध्यक्ष एडोकेट मुहम्मद शुऐब, शबरोज मोहम्मदी, एडोकेट मोहम्मद कलीम खान, राजीव यादव आदि शामिल रहे.