BY–Nitish Kumar
मेरा हमेशा से ये मानना रहा है, कि खुले में शौच जाना मानव की गरिमा पर अभिशाप है| लोगों ने आदर और सम्मान दे कर मुझे यह पद दिया है तो यह मेरा कर्तव्य बनता है कि मैं उन्हें एक गरिमामयी जीवन दूँ, जिसमें घरेलु शौचालय सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है|
हाल ही मैंने एक घोषणा की है कि जिनके घर में घरेलू शौचालय नहीं होगा, वे नगर निकाय एवं पंचायत चुनाव नहीं लड़ पायेंगे| इस घोषणा के बाद मेरी उम्मीद है की लोगों एवं सरकारी संस्थओं के अन्दर इस समस्या के प्रति जागरूकता आयेगी| मैं हमेशा से इस मुद्दे पर काम करना चाहता था|
मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ही मैंने इस समस्या के प्रति जागरूकता लाने का काम शुरू किया|
मैं हमेशा से राम मनोहर लोहिया से प्रेरित रहा| 1950 के दशक में जब कोई शौचालय के बारे में सोचता भी नहीं था, उन्होंने शौचालय एवं नदियों की सफाई की बात कही थी |
लोहिया जी प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरु के धुर विरोधी थे| इसके बावजूदउन्होंने एक बार कहा था कि “अगर पंडित नेहरु भारत में सभी महिलाओं के लिए शौचालय बना दे तो मैं उनका विरोध करना छोड़ दूंगा” | उनका यह कथन इस मुद्दे पर उनकी सोच,गम्भीरता तथा उनकी दूरदर्शिता का प्रमाण है|
2008 में लोहिया जी से प्रेरणा ले कर मैंने बिहार में ‘लोहिया स्वच्छता योजना’ की शुरुआत की| इस अभियान के अंतर्गत हमारा उद्देश्य सब के लिए शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराना है|
यह बात बताते हुए मुझे गर्व का अहसास हो रहा हैं कि पुरे भारत में सिर्फ महाराष्ट्र को छोड़ केवल बिहार ही ऐसा राज्य हैं जिसने खुला शौचालय खत्म करने की दिशा में ऐसी पहल की |
लोहिया स्वच्छता योजना के तहत हमारा लक्ष्य 2015 तक बिहार में शौचालय विहीन घरों को शौचालय सुविधा से युक्त बनाने का है| इससे पहले बिहार में शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्मल भारत अभियान चलाया जा रहा था, लेकिन शुरुआत में इसका लक्ष्य केवल बी.पी.एल. परिवारों तक ही सिमित था |
हमलोगों ने बिहार में इस कार्यक्रम का विस्तार किया जिससे इस योजना का लाभ अधिक से अधिक परिवार उठा सके| इस योजना के विस्तार के लिए राज्य सरकार की तरफ से इसमें अंशदान बढाया गया तथा बी.पी.एल परिवारों के साथ ए.पी.एल. परिवारों भी शामिल किया गया|
इन योजनाओं को शुरू करने के पीछे मुख्य उद्देश्य, लोगों को घरेलू शौचालय बनवाने के लिए प्रेरित और जागरूक करना है| मुझे यह देख कर आश्चर्य होता है की गाँव में कुछ परिवार जिनके के पास पैसे होते है, परन्तु वे अपने घर में शौचालय नहीं बनवाते है|
इसलिए हमनें ए.पी.एल. परिवारों को भी इस योजना में शामिल किया जिसके अंतर्गत घरेलु शौचालय बनवाने के लिए सरकार की तरफ से उन्हें भी रकम मुहैया कराइ जाएगी|
शौचालय निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए मैंने यह घोषणा की है कि जिस ग्राम पंचायत में शत प्रतिशत शौचालय का निर्माण होगा, उस ग्राम पंचायत को निर्मल ग्राम पंचायत का पुरस्कार दिया जायेगा|
निर्मल ग्राम पंचायत को 5 लाख की नकद राशी प्रदान की जाएगी | इसी प्रकार जिस प्रखंड के संपूर्ण पंचायतों में शत-प्रतिशत शौचालय का निर्माण होगा, उस प्रखंड को निर्मल प्रखंड का पुरस्कार दिया जायेगा जिसमें उस प्रखंड को 25 लाख की नकद राशी प्रदान की जाएगी जिसका उपयोग उन्हें स्वच्छता कार्यक्रमों में करना होगा|
मेरे इस शौचालय युक्त घरों के अभियान से मैं लोगों के मौलिक अधिकारों को बचाना चाहता हूँ| घर में शौचालय होना हर इन्सान का मौलिक अधिकार है| इसी मौलिक अधिकार के लिए राष्ट पिता महात्मा गाँधी ने बहुत काम किया |
जब मैं यह सुनता हूँ कि भारत में 600 करोड़ लोग तथा 53% भारतीय परिवार को खुले में शौचालय करने के अपमान से गुजरना पड़ता है, तो मेरा सर शर्म से नीचे हो जाता है |
विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट कहती है कि प्रतिदिन करीब 2 बिलियन टन मल, जिनमें बैक्टीरिया, वायरस होते हैं, हमारी पृथ्वी पर छूने, खाने और पानी में मिल जाने को तैयार रहता है जो कि काफी दुखद है|
खुले शौचालय के परिणाम स्वरुप डायरिया होता है जिससे प्रतिदिन 1,600 से ज्यादा बच्चों की मौत होती है| डायरिया जैसी बीमारियाँ समुचित सफाई व्ययवस्था से आसानी से रोकी जा सकती है| यह काफी आश्चर्यजनक है कि मिलेनियम डेवलपमेंट गोल, 2000 के अन्दर समुचित सफाई व्यवस्था अंकित भी नहीं थी|
जन साधारण में शौचालय के प्रति जागरूकता लाने के लिए पंचायती राज अधिनियम में संशोधन किया जायेगा| केंद्र सरकार ने जनगणना के आधार पर बिहार में 1 करोड़ 11 लाख ग्रामीण परिवारों में शौचालय बनाने का लक्ष्य रखा है| जबकि हमारे पारिवारिक सर्वेक्षण में 2 करोड़ 19 लाख शौचालय विहीन परिवार मिले है|
मेरा यह मानना है कि प्रत्येक राज्य सरकार का यह कर्तव्य है कि राज्य के लोगों को मुलभुत सुविधाए उपलब्ध करा के उनके लिए एक प्रतिष्ठित जीवन सुनिश्चित करे| अगर मेरी सरकार लोगों की गरिमा को कायम रखने में सफल होती है तो यह मेरे लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी|
यह लेख मूलतः नीतीश कुमार के ब्लॉग(Nitish Kumar’s Blog) पर प्रकाशित हुआ है।